रामजी पांडे
नई दिल्ली, मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम – केंद्रीय विद्युत और आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय के मंत्री श्री मनोहर लाल ने आज एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड (ईईएसएल) की सहायक कंपनी कन्वर्जेंस एनर्जी सर्विसेज लिमिटेड (सीईएसएल) के ‘ईवी एज़ ए सर्विस’ कार्यक्रम का शुभारंभ किया। यह कार्यक्रम केंद्र और राज्य सरकार के मंत्रालयों, विभागों, केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (सीपीएसई) और सरकारी संस्थानों में इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
ईवी के सरकारी उपयोग में तेजी लाने का प्रयास
सीईएसएल का 'ईवी एज़ ए सर्विस' कार्यक्रम सरकारी क्षेत्र में इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ती मांग को पूरा करने के उद्देश्य से शुरू किया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य है कि अगले दो वर्षों में सरकारी कार्यालयों में 5,000 ई-कारों का उपयोग हो। इस कार्यक्रम में विभिन्न प्रकार की ई-कार मेक और मॉडल के चयन की सुविधा दी गई है ताकि कार्यालयों की परिचालन आवश्यकताओं के अनुसार उन्हें अनुकूलित किया जा सके।
हरित परिवहन के प्रति सरकार का समर्थन
इस अवसर पर, मंत्री श्री मनोहर लाल ने कहा, "ईवी एज़ ए सर्विस कार्यक्रम सीईएसएल के सतत नवाचार और स्वच्छ गतिशीलता समाधानों की आवश्यकता को पूरा करने की इसकी क्षमता को दर्शाता है। यह पहल न केवल भारत के हरित परिवहन के प्रति समर्पण को प्रदर्शित करती है, बल्कि भारत को 2070 तक शून्य उत्सर्जन प्राप्त करने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य के करीब ले जाने में भी सहायक होगी।"
कार्बन उत्सर्जन में कटौती और ऊर्जा सुरक्षा की दिशा में योगदान
सीईएसएल के इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य कार्बन उत्सर्जन में कटौती करना, जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम करना और भारत की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करना है। इस समय, सीईएसएल के बेड़े में लगभग 2000 ई-कारें पहले से ही शामिल हैं और लगभग 17,000 ई-बसों को जोड़ने की प्रक्रिया में है। ऐसे कार्यक्रमों के माध्यम से भारत न केवल पर्यावरणीय धारणीयता को समर्थन दे रहा है, बल्कि हरित परिवहन के क्षेत्र में एक अग्रणी भूमिका भी निभा रहा है।
स्थायी विकास के लक्ष्य की दिशा में एक बड़ा कदम
सरकारी क्षेत्र में ईवी के उपयोग से भारत के ऊर्जा स्रोतों का संतुलन मजबूत होगा और इसकी निर्भरता परिपत्र और टिकाऊ ऊर्जा स्रोतों पर बढ़ेगी। यह न केवल सरकार के पर्यावरणीय लक्ष्यों को समर्थन देगा बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए स्थायी ऊर्जा का एक ठोस आधार भी तैयार करेगा।