लखीमपुर महोत्सव: कोटवारा में लोक संस्कृति का जादू, तराई की मिट्टी का उत्साह TNI

लखीमपुर खीरी, 27 नवंबर। ठंड और ओस की बूंदों के बीच कोटवारा में "तराई की मिट्टी का उत्सव" लखीमपुर महोत्सव 2024 ने लोक संस्कृति और परंपरा का अद्भुत संगम प्रस्तुत किया। जिला प्रशासन और जिला पर्यटन एवं संस्कृति परिषद द्वारा आयोजित इस महोत्सव में सांस्कृतिक, पारंपरिक और आधुनिक रंगों का अद्भुत मेल देखने को मिला।

ठंड के बावजूद सजी रंगारंग शाम
महोत्सव के सांस्कृतिक मंच पर कलाकारों ने गीत, संगीत और नृत्य के माध्यम से उपस्थित दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। लोकगीत गायक रामपाल निषाद के "निमिया के डार मैया, लखीमपुर मेरा सिंगापुर बनेगा..." और "अंगुरी में डसले बिया नगिनिया..." जैसे गीतों पर लोग झूम उठे। वहीं, महक गुप्ता के भजन "मुझे रास आ गया है तेरे दर से सर झुकाना" ने भक्तिमय वातावरण तैयार कर दिया।

थारू संस्कृति और अवधी नृत्य का अनूठा संगम
थारू जनजाति की महिलाओं के दल ने अपने पारंपरिक नृत्य से तराई की सांस्कृतिक विविधता को मंच पर जीवंत कर दिया। वहीं, अवधी लोक नृत्य और "रेलिया बैरन पिया को लिये जाय रे..." जैसे गीतों पर दर्शकों ने तालियां बजाकर कल