नई दिल्ली: भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने 12 नवंबर 2024 को एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करते हुए ओडिशा के तट पर इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज (आईटीआर), चांदीपुर से लंबी दूरी की लैंड अटैक क्रूज़ मिसाइल (एलआरएलएसीएम) का सफल उड़ान परीक्षण किया। यह परीक्षण देश की स्वदेशी रक्षा तकनीक को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
डीआरडीओ ने मोबाइल आर्टिकुलेटेड लॉन्चर का उपयोग करके इस अत्याधुनिक मिसाइल का प्रक्षेपण किया। इस दौरान मिसाइल की सभी उप-प्रणालियों ने उम्मीद के मुताबिक उत्कृष्ट प्रदर्शन किया और अपने सभी मिशन उद्देश्यों को पूरा किया। इस मिसाइल के प्रदर्शन की निगरानी के लिए विभिन्न रडार, इलेक्ट्रो ऑप्टिकल ट्रैकिंग सिस्टम, और टेलीमेट्री जैसे अत्याधुनिक रेंज सेंसर लगाए गए थे, जो मिसाइल के उड़ान पथ पर नजर बनाए हुए थे।
उच्च-स्तरीय तकनीक से लैस एलआरएलएसीएम
एलआरएलएसीएम को विशेष रूप से वे पॉइंट नेविगेशन सिस्टम के साथ डिजाइन किया गया है, जो इसे वांछित पथ पर संचालित रखने की क्षमता देता है। मिसाइल ने परीक्षण के दौरान विभिन्न ऊंचाइयों और गति पर उड़ान भरते हुए युक्तिचालन क्षमता का बेहतरीन प्रदर्शन किया। इस स्वदेशी मिसाइल में उन्नत एवियोनिक्स और अत्याधुनिक सॉफ्टवेयर का उपयोग किया गया है, जिससे इसके प्रदर्शन और विश्वसनीयता में और अधिक निखार आता है।
वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान का योगदान
डीआरडीओ के वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान, बेंगलुरु के सहयोग से विकसित इस मिसाइल को बनाने में कई भारतीय उद्योगों का भी योगदान रहा है। भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (हैदराबाद) और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बेंगलुरु) एलआरएलएसीएम के सह-विकास और उत्पादन में शामिल प्रमुख साझेदार हैं। ये उद्योग देश की रक्षा आवश्यकताओं को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं और स्वदेशी रक्षा उपकरणों के उत्पादन में अपना योगदान दे रहे हैं।
रक्षा मंत्री और डीआरडीओ अध्यक्ष ने दी बधाई
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस महत्वपूर्ण उपलब्धि पर डीआरडीओ, सशस्त्र बलों, और उद्योग जगत को बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह सफल परीक्षण भारत के स्वदेशी क्रूज मिसाइल कार्यक्रमों के लिए एक नया मार्ग प्रशस्त करेगा। डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. समीर वी कामत ने भी इस सफलता के लिए डीआरडीओ की टीम को बधाई दी और कहा कि यह परीक्षण संगठन की नवाचार क्षमता का प्रमाण है।
भविष्य के लिए बड़ी उपलब्धि
एलआरएलएसीएम को भूमि से लॉन्च करने के साथ-साथ फ्रंटलाइन जहाजों पर यूनिवर्सल वर्टिकल लॉन्च मॉड्यूल सिस्टम के माध्यम से भी लॉन्च किया जा सकता है। यह लैंड और नेवल ऑपरेशंस के लिए एक बहुपयोगी समाधान साबित होगा और भारतीय सशस्त्र बलों की मारक क्षमता को मजबूत करेगा।
इस सफल परीक्षण से भारत की सैन्य शक्ति में एक नया आयाम जुड़ा है और देश की सुरक्षा को और भी सुदृढ़ किया है।