लखीमपुर खीरी, मोतीपुर ओयल: जिला पुरुष अस्पताल, मोतीपुर ओयल में कुपोषण से पीड़ित बच्चों के इलाज के लिए बनाए गए एनआरसी वार्ड में तैनात स्टाफ नर्स को शुक्रवार को उस समय सीएमएस (मुख्य चिकित्सा अधीक्षक) डॉ. आरके कोली से कड़ी फटकार सुननी पड़ी, जब वह भ्रमण के दौरान एक नवजात बच्चे के वजन की जानकारी नहीं दे पाई। सीएमएस ने लापरवाही को गंभीरता से लेते हुए स्टाफ नर्स को भविष्य में ऐसी गलती न करने की चेतावनी दी।
रोजाना की तरह भ्रमण पर निकले सीएमएस डॉ. कोली एनआरसी वार्ड में पहुंचे, जहां कुपोषित और अति-कुपोषित बच्चों का इलाज किया जाता है। भ्रमण के दौरान उन्होंने एक नवजात बच्चे के इलाज की प्रगति जानने के लिए बच्चे की मां से दी जा रही दवाओं और खानपान की जानकारी ली। इसके बाद उन्होंने वहां मौजूद स्टाफ नर्स से बच्चे के वजन के बारे में पूछा, ताकि यह देखा जा सके कि बच्चे के स्वास्थ्य में सुधार हो रहा है या नहीं। हालांकि, नर्स बच्चे का वर्तमान वजन नहीं बता पाई, जिससे सीएमएस ने सख्त नाराजगी जताई।
सीएमएस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए स्टाफ नर्स को बच्चे का वजन तत्काल मापने का आदेश दिया और यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए कि बच्चे का वजन वीएसटी (वेट सर्विलांस टेबल) पर प्रतिदिन अंकित किया जाए। साथ ही उन्होंने आदेश दिया कि बच्चे के वजन में हो रहे बदलावों का रिकॉर्ड रखा जाए, ताकि किसी भी तरह की अनदेखी या लापरवाही न हो।
कुपोषित बच्चों के इलाज में लापरवाही बर्दाश्त नहीं: सीएमएस
सीएमएस डॉ. आरके कोली ने इस मामले पर गंभीर रुख अपनाते हुए एनआरसी वार्ड में कार्यरत सभी कर्मचारियों को सचेत किया कि कुपोषण से पीड़ित बच्चों के इलाज में किसी भी तरह की लापरवाही सहन नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि अस्पताल प्रशासन बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार के प्रति संजीदा है और उनकी देखभाल में किसी भी प्रकार की कोताही नहीं की जानी चाहिए। इस दौरान उन्होंने अस्पताल स्टाफ को निर्देशित किया कि बच्चों के वजन, खानपान और स्वास्थ्य से जुड़े सभी मापदंडों का सटीक रूप से पालन किया जाए, ताकि बच्चों को स्वस्थ जीवन प्रदान करने में कोई कमी न हो।
नियमित निरीक्षण से होगी लापरवाही पर अंकुश
सीएमएस ने कहा कि अस्पताल में नियमित निरीक्षण और मॉनिटरिंग से लापरवाही पर अंकुश लगाया जा सकेगा। बच्चों का वजन और स्वास्थ्य रिकॉर्ड को नियमित रूप से अपडेट करना आवश्यक है, ताकि कुपोषण के शिकार बच्चों को उचित इलाज मिल सके। इसके लिए उन्होंने अस्पताल में कार्यरत नर्सिंग स्टाफ और अन्य कर्मचारियों को भी प्रशिक्षित करने की बात कही, ताकि कुपोषण से लड़ने के लिए बेहतर सेवाएं उपलब्ध कराई जा सकें।
इस घटना से अस्पताल प्रशासन ने स्पष्ट संदेश दिया है कि कुपोषित बच्चों के इलाज में लापरवाही को गंभीरता से लिया जाएगा और आवश्यकता पड़ने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।