रामजी पांडे
नई दिल्ली: केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक (एआईआईबी) के उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की। इस बैठक में एआईआईबी के बोर्ड समूह के 11 निदेशक और अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे, जो भारत में अपने निवेशों की स्थिति और संभावनाओं का आकलन करने के लिए आए हुए हैं।
बैठक का मुख्य उद्देश्य एआईआईबी के निदेशक मंडल को भारत में चल रही और प्रस्तावित परियोजनाओं की जानकारी देना और साथ ही भारत के सरकारी एवं निजी क्षेत्र के साथ साझेदारी को और सुदृढ़ करना था। यह दौरा भारत में बुनियादी ढांचे के विकास, जलवायु अनुकूलन, ऊर्जा सुरक्षा और शहरी विकास में एआईआईबी के निवेश को लेकर भारत सरकार की अपेक्षाओं को भी रेखांकित करता है।
एआईआईबी की प्रगति की सराहना
बैठक में श्रीमती सीतारमण ने एआईआईबी के पिछले नौ वर्षों में हुए विकास की सराहना की। उन्होंने कहा, "भारत ने वैश्विक स्तर पर अपनी मजबूत आर्थिक नींव, तकनीकी शक्ति, और डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना में अद्वितीय भूमिका निभाई है।" उन्होंने एआईआईबी से आग्रह किया कि वह जलवायु अनुकूलन, आधारभूत संरचना विकास, और ऊर्जा सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में अपनी प्राथमिकताओं को और मजबूत करे ताकि भारत में निवेश को अधिक स्थिरता मिल सके।
भारत का डिजिटल परिवर्तन - अन्य देशों के लिए एक मॉडल
वित्त मंत्री ने कहा कि भारत का डिजिटल बदलाव समावेशी विकास के लिए एक मिसाल है और इसे अन्य देशों के लिए एक मॉडल के रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है। "भारत ने डिजिटल समाधानों का लाभ उठाकर समावेशी विकास की ओर बढ़ते हुए उल्लेखनीय प्रगति की है। आपदा प्रबंधन में भारत का अनुभव भी कई कमजोर अर्थव्यवस्थाओं के लिए सहायक हो सकता है," उन्होंने बताया।
एआईआईबी को वित्तीय साधनों में नवाचार का सुझाव
श्रीमती सीतारमण ने एआईआईबी से नए वित्तीय साधनों और मॉडलों को अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया ताकि अधिक निवेश आकर्षित किया जा सके। उन्होंने कहा कि एआईआईबी को निजी पूंजी जुटाने के लिए अपने प्रयासों को बढ़ाना चाहिए और इस दिशा में भारत का पूरा समर्थन रहेगा। भारत एआईआईबी के लिए एक सहयोगी बन सकता है जो वित्तपोषण मॉडल और उन्नत प्रौद्योगिकियों में नवाचार ला सकता है।
एमडीबी में सुधार की ओर प्रोत्साहन
भारत की जी-20 अध्यक्षता के तहत स्थापित स्वतंत्र विशेषज्ञ समूह की सिफारिशों का समर्थन करते हुए वित्त मंत्री ने एआईआईबी को प्रोत्साहित किया कि वह बहुपक्षीय विकास बैंकों (एमडीबी) को और अधिक प्रभावी बनाने में भागीदार बने। उन्होंने इस पर जोर दिया कि एमडीबी को समकालीन चुनौतियों का सामना करने के लिए और भी ज्यादा समावेशी और उत्तरदायी होना चाहिए ताकि निम्न आय वाले देशों की आवश्यकताओं को भी पूरा किया जा सके।
परियोजनाओं का दौरा और गोलमेज चर्चा
बैठक से पहले एआईआईबी के प्रतिनिधिमंडल ने एशियाई विकास बैंक (एडीबी) और न्यू डेवलपमेंट बैंक (एनडीबी) द्वारा वित्तपोषित क्षेत्रीय रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) परियोजना का दौरा किया। इसके अलावा, वे बेंगलुरु में अन्य परियोजनाओं का भी दौरा करेंगे और प्रौद्योगिकी क्षेत्र के प्रमुख प्रतिनिधियों के साथ बातचीत करेंगे। गोलमेज चर्चा में उन्होंने भारत की विकास प्राथमिकताओं, निवेश परिदृश्य और परिचालन चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित किया। यह चर्चा आगे के सहयोग और निवेश के अवसरों को मजबूत करने के उद्देश्य से आयोजित की गई थी।
समावेशी विकास और आर्थिक सहयोग में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका
बैठक के दौरान, वित्त मंत्री ने एआईआईबी को भारतीय ज्ञान और प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने और इसे अन्य समान स्थिति वाले देशों में प्रसारित करने के लिए संस्थागत तंत्र विकसित करने का सुझाव दिया। "भारत के पास न केवल क्षेत्रीय तौर-तरीके और समाधान हैं, बल्कि वह इनसे अन्य देशों को भी लाभान्वित कर सकता है," उन्होंने कहा।
इस उच्च स्तरीय बैठक ने भारत और एआईआईबी के बीच आर्थिक सहयोग को नई ऊंचाईयों पर पहुंचाने की दिशा में एक मजबूत कदम रखा है। एआईआईबी के साथ भारत की साझेदारी आने वाले समय में बुनियादी ढांचे के विकास और निवेश को मजबूती देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।