ग्रेनो प्राधिकरण को 46 करोड़ का भुगतान करना होगा | हाई कोर्ट का आदेश

ग्रेटर नोएडा: ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण (ग्रेनो प्राधिकरण) को अपनी कानूनी लड़ाई में बड़ा झटका लगा है। पिछले 25 साल से नियमितीकरण की मांग कर रहे माली एवं सफाई कर्मियों को अब 46 करोड़ 36 लाख 80 हजार रुपये का भुगतान करना पड़ेगा। इसके साथ ही कर्मचारियों की बहाली के आदेश भी दिए गए हैं। यह निर्णय उच्च न्यायालय द्वारा पिछले महीने, 16 अक्टूबर 2024 को दिए गए फैसले में आया है, जिसमें प्राधिकरण की याचिकाएं खारिज कर दी गईं।

पुराना विवाद, नया न्याय
विवाद की शुरुआत 1998 से हुई थी, जब ग्रेनो प्राधिकरण में माली एवं सफाई का कार्य कर रहे कर्मचारियों ने नियमितीकरण के लिए मांग उठाई थी। इसके बाद, वर्ष 2003 में प्राधिकरण द्वारा 240 कर्मचारियों को गैरकानूनी तरीके से नौकरी से हटा दिया गया, जिसका पुरजोर विरोध हुआ। कर्मचारियों ने "सीटू" (CITU) के नेतृत्व में अपनी आवाज उठाई और न्याय की लड़ाई में जुट गए।

विवाद का मामला औद्योगिक न्यायाधिकरण पंचम, उत्तर प्रदेश, मेरठ में उठा, जिसने मई 2018 में कर्मचारियों के पक्ष में फैसला सुनाया। इस फैसले में प्राधिकरण को आदेश दिया गया था कि वह कर्मचारियों को कार्य पर पुनः बहाल करे और पिछले वेतन का भुगतान भी करे। इसके बावजूद प्राधिकरण ने इस आदेश का पालन नहीं किया, जिससे मामले ने अदालत का रुख किया।

उच्च न्यायालय का अंतिम निर्णय
हाई कोर्ट ने कर्मचारियों के पक्ष में आकर सभी याचिकाएं खारिज कर दीं और औद्योगिक न्यायाधिकरण द्वारा दिए गए आदेश को बहाल कर दिया। न्यायालय ने जिलाधिकारी गौतम बुद्ध नगर को निर्देश दिए कि वे 90 दिनों के भीतर प्राधिकरण से राशि वसूल कर कर्मचारियों को भुगतान कराएं और उन्हें वापस काम पर बहाल करें।

यूनियन का आभार
प्रेस क्लब स्वर्ण नगरी, ग्रेटर नोएडा में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ग्रेटर नोएडा माली एवं सफाई कामगार यूनियन ने अपनी जीत का जश्न मनाया। यूनियन के महामंत्री रामकिशन सिंह और मंत्री टीकम सिंह ने संघर्ष की इस लंबी यात्रा का जिक्र किया और सीटू के पदाधिकारियों, सपा नेता राजकुमार भाटी, अधिवक्ता नरेश कुमार वर्मा और गोपाल नारायण का आभार व्यक्त किया, जिनकी मदद से यह न्याय संभव हो पाया।

यूनियन के अन्य पदाधिकारियों जैसे गंगेश्वर दत्त शर्मा, डॉ. रुपेश वर्मा, ज्ञानचंद, धनपाल और अमरपाल ने चेतावनी दी कि यदि जिला प्रशासन द्वारा इस आदेश का पालन नहीं किया गया तो यूनियन फिर से आंदोलन करेगी।

आंदोलन का असर
यह मामला अन्य अस्थायी कर्मचारियों के लिए भी एक उदाहरण बन गया है, जो नियमितीकरण की लड़ाई लड़ रहे हैं। यूनियन ने अपने सदस्यों से एकजुटता बनाए रखने का आह्वान किया है और कहा है कि किसी भी अन्याय के खिलाफ उनकी यह लड़ाई जारी रहेगी।