लखीमपुर खीरी: शासन द्वारा नवंबर से पहले क्रेशर और कोल्हू को बंद रखने और गन्ने का भुगतान बैंक के माध्यम से अनिवार्य रूप से करने का निर्णय किसानों के लिए एक बड़ा झटका साबित हो रहा है। इस निर्णय की कड़ी निंदा करते हुए, स्वतंत्र नेता रामजी पांडे ने इसे पूरी तरह से किसान विरोधी करार दिया है।
रामजी पांडे का कहना है कि जिले की सबसे बड़ी चीनी मिल, बजाज मिल, वर्षों से किसानों का गन्ने का भुगतान समय पर नहीं कर रही है। किसान अपने गन्ने की फसल को मजबूरी में कम दामों पर बेचने के लिए बाध्य होते हैं ताकि अपने परिवार का भरण-पोषण कर सकें। पांडे ने आरोप लगाया कि सरकार का यह निर्णय पूंजीपतियों के हितों की रक्षा के लिए लिया गया है, जबकि किसानों को उनके हाल पर छोड़ दिया गया है।
रामजी पांडे ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर सरकार ने जल्द ही अपने फैसले पर पुनर्विचार नहीं किया और किसानों को उनकी मेहनत का उचित मूल्य नहीं मिला, तो वह दिन दूर नहीं जब किसान भाजपा को सत्ता से उखाड़ फेंकेंगे। उन्होंने मांग की है कि सरकार को गन्ने का उचित मूल्य निर्धारित करना चाहिए और 20 दिनों के भीतर किसानों का भुगतान सुनिश्चित करना चाहिए। साथ ही, कोल्हू और क्रेशर के संचालन पर लगाए गए प्रतिबंध को तुरंत हटाने की भी अपील की।
किसानों के प्रति सरकार की इस उदासीनता से गन्ना उत्पादक क्षेत्रों में रोष व्याप्त है। किसानों का कहना है कि उनकी आर्थिक स्थिति पहले ही खराब है, और अगर क्रेशर और कोल्हू नहीं चलेंगे, तो उनकी मुश्किलें और बढ़ जाएंगी।
रामजी पांडे का यह बयान किसानों के लिए एक उम्मीद की किरण के रूप में देखा जा रहा है, जो अपने हक की लड़ाई के लिए मजबूती से खड़े होने की तैयारी कर रहे हैं। अब यह देखना होगा कि सरकार किसानों की इन जायज़ मांगों पर क्या प्रतिक्रिया देती है।