रामजी पांडे
लखीमपुर खीरी। फूलबेहड़ क्षेत्र के सारदा बांध के अंदर बसे दर्जनों गांव, जिनमें बड़ागांव, बसहा, मेहंदी बहाली, पूर्वा खंभी, भोला पूरवा, पांडे पुरवा, और ग्रांट नंबर 12 शामिल हैं, हाल ही में हुए भारी वर्षा के कारण टापू जैसे बन गए हैं। इन गांवों का मुख्य मार्ग एक पुल के जरिए जुड़ा हुआ है, जो हर साल की तरह इस बार भी कट गया है, जिससे इन गांवों का संपर्क बाहरी दुनिया से पूरी तरह से टूट गया है।
गांव के निवासियों को आने-जाने में भारी कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर जल्द ही रास्ता नहीं बनाया गया तो वे आंदोलन करेंगे। श्रीनगर के पास स्थित इस पुल की कहानी हर साल वही होती है—बरसात के दौरान पुल कट जाता है और गांवों का संपर्क पूरी तरह से बाधित हो जाता है। यह सिलसिला कई वर्षों से जारी है, और सरकार द्वारा करोड़ों रुपये खर्च किए जाने के बावजूद समस्या का स्थायी समाधान नहीं हो पाया है।
पुल की डिजाइन और निर्माण में खामियों की ओर इशारा करते हुए ग्रामीणों ने कहा कि पानी निकालने के लिए पर्याप्त जगह नहीं होने के कारण पुल बार-बार कट जाता है। इसके बावजूद, मिट्टी पाटकर पुल को रोकने के असफल प्रयास किए जाते हैं, जिससे सरकार के पैसों का दुरुपयोग होता है।
ग्रामीणों में इस स्थिति को लेकर गहरा रोष है, और वे मांग कर रहे हैं कि जल्द से जल्द रास्ते को बहाल किया जाए। जब तक पुल की सही मरम्मत और आसपास की सड़कों की स्थायी व्यवस्था नहीं की जाती, तब तक इस समस्या का समाधान संभव नहीं है।
गांव की जनता ने सरकार से अपील की है कि वे इस समस्या का स्थायी समाधान निकालें, ताकि भविष्य में ऐसी परेशानियों का सामना न करना पड़े।