भारत के छात्रों का अंतर्राष्ट्रीय पृथ्वी विज्ञान ओलंपियाड में शानदार प्रदर्शन


नई दिल्ली भारत के छात्र दल ने चीन के बीजिंग में 08-16 अगस्त, 2024 तक आयोजित 17वें अंतर्राष्ट्रीय पृथ्वी विज्ञान ओलंपियाड (आईईएसओ) में बेहतरीन प्रदर्शन कर देश का मान बढ़ाया। चार सदस्यीय इस दल, जिसमें गुजरात, केरल, छत्तीसगढ़, और राजस्थान के छात्र शामिल थे, ने प्रतियोगिता की तीन श्रेणियों—सिद्धांत और व्यावहारिक, पृथ्वी प्रणाली परियोजना, और अंतर्राष्ट्रीय दल द्वारा जांच—में तीन स्वर्ण, दो रजत, और एक कांस्य पदक जीते।

भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव डॉ. एम रविचंद्रन ने छात्रों को बधाई देते हुए कहा, "हम अपने युवा पृथ्वी विज्ञान की प्रतिभाओं पर गर्व करते हैं। यह ओलंपियाड पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की रीचआउट योजना के तहत सबसे सफल छात्र-केंद्रित कार्यक्रमों में से एक है।" इसी क्रम में डॉ. जगवीर सिंह ने कहा, "इस प्रतियोगिता का उद्देश्य युवाओं में पृथ्वी प्रणाली विज्ञान के प्रति रुचि पैदा करना है, जिसमें पर्यावरणीय चुनौतियों पर जागरूकता बढ़ाने और समाधान-केंद्रित चर्चाओं को बढ़ावा देना शामिल है।"

अंतर्राष्ट्रीय पृथ्वी विज्ञान ओलंपियाड की स्थापना 2003 में कैलगरी, कनाडा में हुई थी, जिसका उद्देश्य माध्यमिक विद्यालय के छात्रों में पृथ्वी विज्ञान के प्रति रुचि और जागरूकता को बढ़ावा देना है। भारत ने इस ओलंपियाड में 2007 से भाग लिया है और 2016 में मैसूर में इसके 10वें संस्करण की मेजबानी की थी।

भारत में इस ओलंपियाड के लिए चयनित होने के लिए भारतीय राष्ट्रीय पृथ्वी विज्ञान ओलंपियाड (आईएनईएसओ) का आयोजन किया जाता है। इस प्रतियोगिता का आयोजन भारतीय भूवैज्ञानिक सोसायटी द्वारा, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) के सहयोग से किया जाता है, जिसमें छात्रों का मूल्यांकन भूविज्ञान, मौसम विज्ञान, समुद्र विज्ञान और पर्यावरण विज्ञान जैसे विषयों में किया जाता है। आईएनईएसओ में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले छात्रों को अंतर्राष्ट्रीय पृथ्वी विज्ञान ओलंपियाड (आईईएसओ) में भाग लेने का मौका मिलता है।

इस साल, 17वें आईईएसओ में 35 देशों के दलों ने भाग लिया, जिनमें से 32 दल अंतिम चरण में पहुँचे। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा संचालित पीआरआईटीएचवीआई योजना के तहत इस ओलंपियाड का समर्थन किया गया है, जिसका उद्देश्य पृथ्वी प्रणाली विज्ञान की समझ को बेहतर बनाना और विश्वसनीय सेवाएं प्रदान करना है।

भारत के छात्रों की यह सफलता न केवल उनके कठिन परिश्रम का परिणाम है, बल्कि यह देश के लिए भी एक बड़ा सम्मान है। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की इस पहल ने भारतीय छात्रों को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर अपनी प्रतिभा को प्रदर्शित करने का सुनहरा अवसर प्रदान किया है।