गोला गोकर्णनाथ, जिसे संक्षेप में गोला भी कहा जाता है, उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी ज़िले में स्थित एक प्रमुख तीर्थस्थल है। यह नगर लखनऊ से लगभग 170 किलोमीटर और सीतापुर से लगभग 70 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। गोला गोकर्णनाथ को "छोटी काशी" के नाम से भी जाना जाता है।
पौराणिक मान्यताएं
गोला गोकर्णनाथ की पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, त्रेता युग में राम-रावण युद्ध के समय रावण ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की थी ताकि वह युद्ध में विजय प्राप्त कर सके। भगवान शिव ने प्रसन्न होकर शिवलिंग का रूप धारण कर रावण को लंका में स्थापित करने का निर्देश दिया। इसके लिए उन्होंने शर्त रखी कि शिवलिंग को कहीं पर भी बीच में नहीं रखना है।
रास्ते में रावण को लघुशंका लगी, तो उसने एक गड़रिये को शिवलिंग पकड़ने को कहा। गड़रिया का रूप धारण करके स्वयं भगवान विष्णु आये थे। शिवजी ने अपना वजन बढ़ा दिया जिससे गड़रिये को शिवलिंग नीचे रखना पड़ा। रावण को शिवजी की चालाकी समझ में आ गई और वह क्रोधित हो गया। रावण ने शिवलिंग को अपने अंगूठे से दबा दिया जिससे उसमें गाय के कान (गौ-कर्ण) जैसा निशान बन गया। इसके बाद भगवान शिव ने चरवाहे की आत्मा को बुलाकर उसे आशीर्वाद दिया कि आज के बाद लोग तुम्हें भूतनाथ के नाम से जानेंगे और मेरे दर्शन के बाद तुम्हारे दर्शन करने पर भक्तों को विशेष पुण्यलाभ मिलेगा।
वराह पुराण की कथा
वराह पुराण की एक कथा के अनुसार, एक बार भगवान शंकर ने तीन सींगों वाले मृग का रूप धारण कर लिया। देवता विष्णु के नेतृत्व में उन्हें खोजने पृथ्वी पर आये। ब्रह्मा और इंद्र ने मृगरूपी शिव के दो सींग पकड़ लिए, तभी शंकर ने अपने तीनों सींग छोड़कर अदृश्य हो गए। ये सींग लिंगरूप में बदल गए। देवताओं ने शिव के तीन लिंगों में से एक यहाँ गोकर्णनाथ में स्थापित किया, दूसरा शुंगेश्वर (भागलपुर, बिहार) में और तीसरा शिवलिंग इंद्र इंद्रलोक ले गए। रावण ने इंद्र पर विजय हासिल की तो इन्द्रलोक से तीसरा सींग (गोकर्ण लिंग) उठा लाया किन्तु लंका के मार्ग पर जाते हुए उसने भूल से इसी गोकर्ण क्षेत्र में शिवलिंग भूमि पर रख दिया। शिव तब यहीं स्थिर हो गए।
प्रमुख स्थल
गोला गोकर्णनाथ में एक बड़ा सरोवर है जिसमें महादेव की विशाल प्रतिमा सुशोभित है। सरोवर के किनारे श्रीगोकर्णनाथ महादेव का बड़ा मंदिर है। इसके अलावा ८ किलोमीटर की परिधि में ५ प्राचीन कुंड हैं, जहाँ हर कुंड के पास शिवालय हैं। गोकर्णनाथ महादेव के अलावा अन्य ४ शिव मंदिर हैं - देवेश्वर महादेव, गदेश्वर महादेव, बटेश्वर महादेव और स्वर्णेश्वर महादेव। यहाँ का प्राचीन बाबा भूतनाथ मंदिर भी विशेष रूप से प्रसिद्ध है।
श्रवण मास का मेला
श्रवण मास में गोला गोकर्णनाथ में विशेष मेला लगता है जहाँ लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। भक्तजन भगवान शिव और बाबा भूतनाथ के दर्शन कर विशेष पुण्यलाभ प्राप्त करते हैं।
गोला गोकर्णनाथ का धार्मिक और पौराणिक महत्व इसे एक अद्भुत तीर्थ स्थल बनाता है, जहाँ भक्तों की असीम श्रद्धा और आस्था देखी जा सकती है।