लखीमपुर सदर विधानसभा क्षेत्र में आने वाले 2027 के चुनावों की तैयारियाँ नेताओं ने 3 साल पहले ही शुरू कर दी है लेकिन इस बार एक नया चेहरा सभी की नजरों छाने लगा है जिसका नाम है रामजी पांडेय, जो 2027 के विधानसभा चुनाव में लखीमपुर सदर विधानसभा से संभावित स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। रामजी पांडे की सोशल मीडिया पर दिनों दिन बढ़ती लोकप्रियता के कारण लखीमपुर सदर सीट पर पहले से जमे हुए नेताओं की धड़कनें बढ़ गई हैं।
मिली जानकारी के अनुसार रामजी पांडेय का जन्म 5 मार्च 1980 को लखीमपुर के छोटे से गांव उमरपुर में हुआ था। वे अपने सामाजिक कार्यों और अपने कार्य के प्रति निष्ठा के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने लखीमपुर में स्थित बड़ी रेलवे लाइन, फ्लाईओवर ब्रिज की मांग को लेकर 2006 में अनशन भी किया था इसके अलावा उन्होंने अपने जीवन का बड़ा हिस्सा समाज सेवा और राजनीति में समाजवादी लोहिया वाहिनी में रहे उसके बाद वह दिल्ली चले गए थे।
दिल्ली में उन्होंने अपने बिजनेस की शुरुवात की लेकिन वह अपने क्रांतिकारी स्वभाव के कारण 2009 में दिल्ली में चल रहे ऐतिहासिक अन्ना आंदोलन में शामिल हो गए है।आंदोलन बाद बनी आम आदमी पार्टी में वह एक दशक तक कार्य करने के बाद साल 2023 में लखीमपुर वापस आ गए जहां पर उन्होंने पार्टी पॉलिटिक्स से दूरी बनाकर स्वतंत्र उमीदवार के तौर पर कार्य कर रहे है। यही कारण है कि दिल्ली में केजरीवाल के साथ दशकों तक नई दिल्ली टीम के साथ कार्य करने के अनुभव ने उन्हें लखीमपुर की राजनीति में बहुत कम समय में अन्य नेताओं से अलग खड़ा कर दिया है।
रामजी पांडेय ने बताया कि उनका राजनीति में आने का मकसद सिर्फ सत्ता पाना नहीं, बल्कि अपने क्षेत्र की गरीब जनता की समस्याओं को हल करना और विकास लाना है। उनकी लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उनके समर्थकों की संख्या लगातार बढ़ रही है। उनकी ईमानदारी और सेवा भावना ने उन्हें लोगों के बीच खास बनाया है।
लखीमपुर सदर के पुराने नेताओं के लिए रामजी पांडेय एक बड़ी चुनौती बन गए हैं। वे उनकी बढ़ती लोकप्रियता से परेशान हैं और अपनी जगह बचाने के लिए नई नई योजनाएँ बना रहे हैं। लेकिन रामजी पांडेय की सादगी और जनता के प्रति समर्पण ने उन्हें जनता के दिलों में बसा दिया है, जिससे बाकी नेता चिंता में हैं।
रामजी पांडेय कहते हैं, "मैं राजनीति में सेवा के लिए आया हूँ, सत्ता के लिए नहीं। मेरा मकसद अपने क्षेत्र की जनता की सेवा करना और उनके जीवन को बेहतर बनाना है।
देखना यह है कि क्या वे अपनी इस लोकप्रियता को 2027 में वोटों में बदल पाते हैं और लखीमपुर सदर के राजनीतिक परिदृश्य को नया रूप दे पाते हैं या नहीं। फिलहाल, उनके राजनीतिक उदय ने पुराने नेताओं की धड़कनें जरूर बढ़ा दी हैं । उनकी लोकप्रियता से प्रभावित होकर कई छोटी मोटी पार्टियों उनको टिकट देने के लिए उतावली दिखने लगी है लेकिन पांडे जी उन्हें भाव ही नहीं दे रहे है।