पंकज पाराशर, छतरपुर
छतरपुर नगर पालिका परिषद, मध्य प्रदेश की सबसे बड़ी नगर पालिका, इन दिनों विकास से कोसों दूर है। स्थानीय लोग बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं, जबकि केंद्र और राज्य की प्रमुख योजनाएं केवल कागजों में ही संचालित की जा रही हैं। बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा हो रहा है, जिसमें कई निर्माण कार्यों को कागजों में दिखाकर धनराशि निकाल ली गई है।
फर्जी निर्माण कार्य और भुगतान घोटाले
न्यू कॉलोनी से वार्ड नंबर 34 में नगर सेठ के घर तक पेवर्स बिछाए गए हैं, जिनका भुगतान तीन बार किया जा चुका है। इसी तरह पार्कों में सौंदर्यकरण के नाम पर लाखों रुपए की राशि हड़प ली गई है। डाकखाना चौराहा और बस स्टैंड चौक की सुंदरता को बिगाड़ कर अधूरे निर्माण कार्य छोड़ दिए गए हैं। राम जानकी कुंड भी अधूरा पड़ा हुआ है। स्वीकृत सारे निर्माण कार्य अधूरे पड़े हैं, लेकिन कागजों में पूर्णता दिखाकर उनकी राशि निकाल ली गई है।
अहंकारी सीएमओ और भ्रष्टाचार का जाल
नगर पालिका परिषद में सीएमओ माधुरी शर्मा की कार्यशैली को लेकर भी गंभीर आरोप लग रहे हैं। सैकड़ों लोग अपनी शिकायतें लेकर सीएमओ से मिलने आते हैं, लेकिन उनकी फरियाद नहीं सुनी जाती। अध्यक्ष श्रीमती ज्योति सुरेंद्र चौरसिया के पति ठेकेदारों से सांठगांठ करके वसूली कर रहे हैं।
भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा
पिछले दो वर्षों से नगर पालिका परिषद छतरपुर में भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा देखी जा रही है। बिना लेन-देन के कोई काम नहीं हो रहा। प्रधानमंत्री आवास योजना, विवाह पंजीयन, भवन निर्माण स्वीकृति आदि समस्त कार्यों में भ्रष्टाचार की दरें तय की गई हैं। लोगों के आरोप हैं कि चपरासी से लेकर अफसर तक हर काम के लिए रुपए मांगते हैं। एक माह पहले हितग्राही को नगर पालिका की दुकान दिलाने के नाम पर साढ़े ग्यारह लाख की ठगी कर सीएमओ के लिए रिश्वत मांगी गई थी।
भविष्य की कार्यवाही
लोकायुक्त संगठन सागर में कई शिकायतें की जा चुकी हैं। जल्द ही भ्रष्टाचार संबंधित कार्यवाही देखने को मिल सकती है, जिसमें नगर पालिका के अधिकारियों और कर्मचारियों को रंगे हाथों पकड़ा जा सकता है।
छतरपुर नगर पालिका परिषद की यह स्थिति न केवल स्थानीय निवासियों के लिए बल्कि पूरे प्रशासनिक तंत्र के लिए एक बड़ी चुनौती है। जनता को उनके अधिकारों और सुविधाओं से वंचित नहीं किया जा सकता, और प्रशासन को इस भ्रष्टाचार के जाल से बाहर निकलना होगा।