विश्व धरोहर स्थलों पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव: नई प्रौद्योगिकियों और सहभागितापूर्ण दृष्टिकोण से संवर्धन

नई दिल्ली, 16 जुलाई 2024: जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभाव के चलते विश्व धरोहर स्थलों के संरक्षण की चुनौतियां दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं। ऐसे में नवाचार और तकनीकी उन्नति ही इन स्थलों के संवर्धन का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं। इसी दिशा में एक नई पहल के तहत, आधुनिक प्रौद्योगिकियों को विश्व धरोहर स्थलों के संरक्षण में एकीकृत करने की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं।

इस पहल का प्रमुख उद्देश्य है जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों से जूझते धरोहर स्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित करना। विशेषज्ञों का मानना है कि नवीनतम प्रौद्योगिकियां जैसे ड्रोन सर्वेक्षण, 3डी स्कैनिंग, और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इन स्थलों के संवर्धन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। साथ ही, ये तकनीकें स्थलों की स्थिति का सटीक आकलन करने और त्वरित सुधारात्मक उपायों को अपनाने में भी सहायक होती हैं।

साथ ही, स्थानीय समुदायों के साथ सहभागिता बढ़ाकर भी धरोहर स्थलों के संरक्षण को प्रभावी बनाया जा सकता है। समुदायों के साथ मिलकर कार्य करने से स्थानीय स्तर पर संवेदनशीलता बढ़ती है और संरक्षण प्रयासों में समाज की भागीदारी सुनिश्चित होती है। इससे न केवल धरोहर स्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित होती है, बल्कि स्थाई पर्यटन और विकास को भी बढ़ावा मिलता है।

फोरम के समापन पर, युवा पेशेवरों ने "विश्व धरोहर समिति के 46वें सत्र के लिए अपना घोषणापत्र" प्रस्तुत किया। इस घोषणापत्र में उन्होंने विश्व धरोहर स्थलों के संरक्षण और संवर्धन के लिए अपने विचार और सुझाव साझा किए। इन सुझावों में स्थाई पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए युवा उद्यमिता के माध्यम से नए अवसर पैदा करने पर जोर दिया गया है।

घोषणापत्र में यह भी कहा गया है कि युवा पेशेवर आधुनिक युग में विश्व विरासत सम्मेलन को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए सहयोगी माध्यम से मार्ग खोजेंगे। चर्चाओं के माध्यम से, उन्होंने विश्व विरासत और सतत विकास के वैश्विक सिद्धांतों में गहरी अंतर्दृष्टि प्राप्त की है और साथ ही भारत की स्थानीय विरासत के प्रबंधन से परिचित हुए हैं।

इस पहल के माध्यम से, यह उम्मीद की जा रही है कि आने वाले समय में विश्व धरोहर स्थलों का संवर्धन और संरक्षण अधिक प्रभावी और सतत तरीके से किया जा सकेगा। नई प्रौद्योगिकियों और सामुदायिक सहभागिता के माध्यम से विश्व धरोहर स्थलों का भविष्य सुरक्षित किया जा सकेगा।