महिलाओं की अस्मिता और गरिमा की रक्षा के लिए जिला महिला अस्पताल में महिला चिकित्सकों की मांग TNI


रामजी पांडे
लखीमपुर खीरी आज दिनांक 13 जून 2024 को जिला महिला अस्पताल में प्रसव प्रक्रिया कराने के लिए महिला चिकित्सकों की उपलब्धता सुनिश्चित कराने हेतु जिलाधिकारी महोदय को ज्ञापन सौंपा गया। इस ज्ञापन में महिलाओं की अस्मिता और गरिमा की रक्षा के लिए कानूनों का हवाला देते हुए मांग की गई कि जिला अस्पताल में महिला चिकित्सकों की नियुक्ति शीघ्र की जाए।

ज्ञापन देने वाले प्रतिनिधिमंडल में सच्चिदानंद शुक्ला, अखिलेश कुमार तिवारी, श्याम जी त्रिवेदी, कृष्ण कुमार, कुलदीप मिश्रा समेत अन्य कार्यकर्ता शामिल थे। उन्होंने अपने ज्ञापन में मौलिक अधिकार अनुच्छेद 21, भारतीय दंड संहिता की धारा 350 और 351, दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 53(2), तथा एमसीआई कोड ऑफ एथिक्स के सेक्शन 17.7 का हवाला दिया। इन कानूनों के उल्लंघन की बात करते हुए उन्होंने बताया कि महिलाओं के प्रसव के दौरान महिला चिकित्सकों की अनुपस्थिति उनके अधिकारों का हनन है।
मौलिक अधिकार अनुच्छेद 21 जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार की सुरक्षा करता है, जिसमें गरिमा के साथ जीवन जीने का अधिकार भी शामिल है। भारतीय दंड संहिता की धारा 350 और 351 बल प्रयोग और हमला को परिभाषित करती हैं, और इनका उल्लंघन करने पर कानूनी कार्रवाई का प्रावधान है। दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 53(2) में चिकित्सा परीक्षण के दौरान महिलाओं की गरिमा बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है। वहीं, एमसीआई कोड ऑफ एथिक्स के सेक्शन 17.7 में चिकित्सा पेशे में नैतिक मानकों का पालन करने की आवश्यकता है।

जिलाधिकारी महोदय ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया कि इस विषय पर शीघ्र ही उचित कार्यवाही की जाएगी और महिला चिकित्सकों की नियुक्ति सुनिश्चित की जाएगी। ज्ञापन देने वालों में सच्चिदानंद शुक्ला, अखिलेश कुमार तिवारी, श्याम जी त्रिवेदी, कृष्ण कुमार, कुलदीप मिश्रा समेत अन्य कार्यकर्ता शामिल थे।

इस कदम से यह आशा की जाती है कि महिलाओं की अस्मिता और गरिमा की रक्षा सुनिश्चित होगी और वे प्रसव के दौरान सम्मानपूर्वक चिकित्सा सेवाएं प्राप्त कर सकेंगी। यह ज्ञापन न केवल महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है, बल्कि चिकित्सा क्षेत्र में नैतिकता और कानूनों के पालन की भी एक मांग है।