DRDO ने भारतीय नौसेना को सौंपा मध्यम दूरी का माइक्रोवेव ऑब्स्क्यूरेंट चैफ रॉकेट

नई दिल्ली, 26 जून, 2024: रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने भारतीय नौसेना को मध्यम दूरी का माइक्रोवेव ऑब्स्क्यूरेंट चैफ रॉकेट (एमआर-एमओसीआर) सौंपा है। नई दिल्ली में आयोजित एक समारोह में डीआरडीओ के रक्षा प्रयोगशाला, जोधपुर द्वारा विकसित इस अत्याधुनिक तकनीक को भारतीय नौसेना को सौंपा गया। इस अवसर पर रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. समीर वी कामत सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

माइक्रोवेव ऑब्स्क्यूरेंट चैफ (एमओसी) की विशेषताएं
एमओसी तकनीक रडार संकेतों को अस्पष्ट करने और प्लेटफार्मों व परिसंपत्तियों के चारों ओर एक माइक्रोवेव शील्ड बनाने में सक्षम है। यह रॉकेट कुछ माइक्रोन के व्यास और अद्वितीय माइक्रोवेव आरोपण गुणों के साथ विशेष प्रकार के फाइबर का उपयोग करता है। रॉकेट को दागे जाने पर यह अंतरिक्ष में एक माइक्रोवेव अस्पष्ट बादल बनाता है जो रेडियो फ्रीक्वेंसी पकड़ने वाले शत्रुतापूर्ण खतरों के विरुद्ध प्रभावी कवच प्रदान करता है।

परीक्षण और परिणाम
एमआर-एमओसीआर के पहले चरण के परीक्षण भारतीय नौसेना के जहाजों से सफलतापूर्वक पूरे किए गए थे। इन परीक्षणों के दौरान एमओसी क्लाउड खिला और अंतरिक्ष में लगातार बना रहा। दूसरे चरण के परीक्षणों में, रडार क्रॉस सेक्शन (आरसीएस) द्वारा हवाई लक्ष्य को 90 प्रतिशत तक कम करने का प्रदर्शन किया गया और इसे भारतीय नौसेना द्वारा मंजूरी दे दी गई।

आत्मनिर्भरता की दिशा में एक और कदम
रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने इस सफलता पर डीआरडीओ और भारतीय नौसेना की सराहना की है। उन्होंने इसे रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. समीर वी कामत ने एमआर-एमओसीआर को भारतीय नौसेना के नौसेना आयुध निरीक्षण महानिदेशक रियर एडमिरल बृजेश वशिष्ठ को सौंपा और जोधपुर की रक्षा प्रयोगशाला टीम को इस महत्वपूर्ण उपलब्धि के लिए बधाई दी। नौसेना आयुध निरीक्षण महानिदेशक ने भी कम समय में इस महत्वपूर्ण रणनीतिक तकनीक को स्वदेशी रूप से विकसित करने के लिए डीआरडीओ के प्रयासों की सराहना की।

डीआरडीओ द्वारा विकसित यह एमआर-एमओसीआर तकनीक भारतीय नौसेना की रडार प्रणाली को और अधिक सुदृढ़ बनाएगी और देश की रक्षा प्रणाली को एक नई ऊंचाई पर ले जाएगी। इस उपलब्धि ने भारतीय रक्षा अनुसंधान और विकास को एक नया आयाम दिया है और देश की सुरक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ है।