पंडित निर्भय पांडे
वाराणसी, 16 जून 2024:को पूरे भारत में गंगा दशहरा का पर्व बड़े ही धूमधाम और श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा है। यह पर्व ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है और इसका प्रमुख उद्देश्य मां गंगा के पृथ्वी पर अवतरण का उत्सव मनाना है।
गंगा दशहरा का पर्व हिन्दू धर्म में अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, इसी दिन मां गंगा स्वर्ग से पृथ्वी पर अवतरित हुई थीं। इस पावन दिन को विशेष रूप से गंगा नदी के किनारे बसे शहरों में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। वाराणसी, हरिद्वार, प्रयागराज और ऋषिकेश जैसे स्थानों पर भक्तजन गंगा स्नान करके अपनी आस्था प्रकट करते हैं और पापों से मुक्ति पाने की कामना करते हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, राजा भागीरथ ने कठोर तपस्या करके मां गंगा को पृथ्वी पर लाने का आग्रह किया था ताकि उनके पूर्वजों की आत्मा को शांति मिल सके। भगवान शिव ने गंगा को अपनी जटाओं में समेटकर पृथ्वी पर अवतरण कराया था, जिससे पृथ्वी पर जीवन का संचार हुआ। गंगा दशहरा के दिन मां गंगा के इस अवतरण की कथा का स्मरण किया जाता है और विशेष पूजन का आयोजन होता है।
गंगा दशहरा के दिन प्रातः काल से ही गंगा घाटों पर स्नान करने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। गंगा स्नान को अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है। इस दिन गंगा नदी में स्नान करके दान-पुण्य करने का विशेष महत्व है। भक्तजन मां गंगा की पूजा अर्चना करते हैं और दीपदान करते हैं। अनेक स्थानों पर गंगा आरती का आयोजन भी किया जाता है, जिसमें हजारों की संख्या में भक्त भाग लेते हैं।
आज के समय में भी गंगा दशहरा का पर्व पर्यावरण संरक्षण और जल संरक्षण के संदेश के साथ मनाया जाता है। गंगा की स्वच्छता और संरक्षण के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। गंगा की पवित्रता बनाए रखने के लिए स्वच्छता अभियानों का भी आयोजन होता है
गंगा दशहरा का पर्व न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमें हमारे प्राकृतिक संसाधनों के प्रति जागरूक और संवेदनशील बनाता है। इस पावन अवसर पर हम सभी को गंगा की स्वच्छता और संरक्षण का संकल्प लेना चाहिए और अपने जीवन में आध्यात्मिकता और नैतिकता का पालन करना चाहिए।