जनरल मनोज पांडे का थल सेना प्रमुख के पद से सेवानिवृत्त होना: चार दशकों की विशिष्ट सेवाओं का समापन


नई दिल्ली - जनरल मनोज पांडे, जिन्होंने चार दशकों से अधिक समय तक भारतीय सेना में विशिष्ट सेवाएँ दीं, आज थल सेना प्रमुख के पद से सेवानिवृत्त हो गए। उनका कार्यकाल उच्च स्तर की युद्ध तैयारी, परिवर्तन की प्रक्रिया को प्रोत्साहित करने और आत्मनिर्भरता पहलों के प्रति उनके दृढ़ प्रयासों के लिए याद किया जाएगा।

थल सेनाध्यक्ष (सीओएएस) रहते हुए जनरल मनोज पांडे ने उत्तरी और पश्चिमी सीमाओं पर सैन्य परिचालन तैयारियों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी। उन्होंने मुख्यतः जम्मू और कश्मीर, पूर्वी लद्दाख और उत्तर पूर्व में अग्रिम क्षेत्रों का दौरा किया और सभी रैंकों की परिचालन तैयारियों और मनोबल का ध्यान रखा।

जनरल पांडे ने भारतीय सेना के समग्र परिवर्तन की पहल की, जिसमें उन्होंने प्रौद्योगिकी अवशोषण पर विशेष ध्यान केंद्रित किया। इन पहलों के तहत भारतीय सेना को एक आधुनिक, स्फूर्तिमान, अनुकूलक और प्रौद्योगिकी-सक्षम भविष्य के सैन्य-बल के रूप में मार्गदर्शन करने में महत्वपूर्ण प्रगति की गई।

'आत्मनिर्भरता’ पहल के तहत, जनरल पांडे ने स्वदेशी हथियारों और उपकरणों के अनुकूलन पर जोर दिया, जिससे भारतीय सेना के लिए चिरस्थायी निरंतरता का मार्ग प्रशस्त हुआ। उन्होंने मानव संसाधन विकास पहलों को भी गति प्रदान की, जिससे सेवारत कर्मियों, उनके परिवारों और सेवानिवृत सैनिक समुदाय के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा।

अपने सीओएएस के कार्यकाल में, जनरल पांडे ने द्विपक्षीय और बहुपक्षीय अभ्यास, सेमिनार और चर्चाओं को बढ़ावा दिया। उनके मार्गदर्शन में, दक्षिण एशिया और इंडो-पैसिफिक में सुरक्षा चुनौतियों का व्यापक विश्लेषण करने के लिए चाणक्य रक्षा संवाद की स्थापना की गई। इसके अलावा, उन्होंने इंडो-पैसिफिक आर्मी चीफ्स कॉन्फ्रेंस (आईपीएसीसी) के संचालन और साझेदार देशों के साथ वार्षिक अभ्यास के स्तर को बढ़ाने पर भी विशेष बल दिया।

जनरल मनोज पांडे की चार दशक से अधिक की सैन्य यात्रा की शुरूआत राष्ट्रीय रक्षा अकादमी से हुई थी। उन्हें दिसंबर 1982 में कोर ऑफ इंजीनियर्स (दि बॉम्बे सैपर्स) में कमीशन मिला। उन्होंने विभिन्न परिचालन स्थितियों में महत्वपूर्ण और चुनौतीपूर्ण कमांड और स्टाफ नियुक्तियाँ कीं।

उनके उत्कृष्ट सेवाकाल के लिए उन्हें परम विशिष्ट सेवा पदक, अति विशिष्ट सेवा पदक और विशिष्ट सेवा पदक से सम्मानित किया गया है। जनरल मनोज पांडे की सेवा, समर्पण और नेतृत्व की ये गाथा भारतीय सेना के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय के रूप में दर्ज की जाएगी।