भारत का शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य: पवन ऊर्जा के क्षेत्र में तेजी से हो रहा विकास


नई दिल्ली, 15 जून 2024 – नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) ने आज ‘वैश्विक पवन दिवस’ का आयोजन किया, जिसमें भारतीय पवन ऊर्जा क्षेत्र की अद्वितीय सफलता का उत्सव मनाया गया और इसके भविष्य के विकास पर चर्चा की गई। इस कार्यक्रम का मुख्य विषय “पवन-ऊर्जा: भारत के भविष्य को सशक्त बनाना” था।

इस महत्वपूर्ण आयोजन में नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा तथा विद्युत राज्य मंत्री श्री श्रीपाद येसो नाईक, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा सचिव श्री भूपिंदर सिंह भल्ला तथा सरकार, उद्योग और शिक्षा जगत के अन्य प्रमुख हितधारकों ने हिस्सा लिया। इस कार्यक्रम के दौरान ‘बिजली की मांग को पूरा करने में पवन ऊर्जा की भूमिका’, ‘भारत में तटीय पवन ऊर्जा को अपनाने में तेजी लाना’ और ‘भारत में अपतटीय पवन विकास: भारत की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करना’ जैसे विषयों पर पैनल चर्चाओं का आयोजन किया गया।

भारत में पवन ऊर्जा उत्पादन का इतिहास चार दशकों से भी अधिक पुराना है। मई 2024 तक, भारत में 46.4 गीगावाट की संचयी स्थापित पवन ऊर्जा क्षमता है, जिससे यह दुनिया का चौथा सबसे बड़ा पवन ऊर्जा उत्पादक देश बन गया है। इस आयोजन में पवन ऊर्जा उत्पादन क्षमता को बढ़ाने के लिए संभावित चुनौतियों और व्यवहारिक स्वरूपों पर विस्तृत चर्चा की गई, जो राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित प्रतिबद्धताओं (एनडीसी) को प्राप्त करने के लिए आवश्यक हैं।

भारत ने 2030 तक अपनी विद्युत ऊर्जा की स्थापित क्षमता का 50 प्रतिशत गैर-जीवाश्म ईंधन-आधारित ऊर्जा संसाधनों से प्राप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। साथ ही, 2070 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य भी रखा गया है। इन लक्ष्यों को प्राप्त करने में पवन ऊर्जा महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

केंद्रीय मंत्री श्री श्रीपाद येसो नाईक ने वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान सबसे अधिक पवन ऊर्जा क्षमता वृद्धि के लिए गुजरात, कर्नाटक और तमिलनाडु राज्यों को सम्मानित किया। अपने उद्घाटन भाषण में, उन्होंने नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सामूहिक कार्रवाई का आह्वान किया। उन्होंने कहा, "भारत को पवन ऊर्जा में अग्रणी बनाने और सभी के लिए एक हरित, उज्जवल भविष्य का निर्माण करने के लिए हमें मिलकर काम करना होगा।"

इस कार्यक्रम में, पवन ऊर्जा उत्पादन को बढ़ाने के लिए विभिन्न रणनीतियों और उपायों पर चर्चा की गई। विशेष रूप से, तटीय और अपतटीय पवन ऊर्जा की संभावनाओं पर ध्यान केंद्रित किया गया, जो भारत की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

भारत का शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए पवन ऊर्जा का क्षेत्र अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दिशा में उठाए गए कदम और नवाचार भारत को एक हरित और समृद्ध भविष्य की ओर ले जाने में सहायक होंगे। ‘वैश्विक पवन दिवस’ के इस आयोजन ने पवन ऊर्जा के महत्व और इसके भविष्य के विकास के प्रति एक सकारात्मक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है।