भारतीय नौसेना, एक पूर्ण विकसित “ग्रीन फुटप्रिंट वाली ब्लू वाटर फोर्स”

 नई दिल्ली पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार बल के रूप में भारतीय नौसेना ने अक्षय ऊर्जा की ओर तीव्र बदलाव करने और यथासंभव जीवनशैली से जुड़ी कार्य प्रणालियों को अपनाकर अपने पर्यावरणीय फुटप्रिंट को कम करने के लिए कई कदम उठाए हैं। हरित पहल हमेशा से भारतीय नौसेना के प्रमुख फोकस क्षेत्रों में से एक रही है। हमारे देश की ऊर्जा नीति में अक्षय ऊर्जा स्रोतों के माध्यम से कम कार्बन उत्सर्जन की रणनीति में बदलाव के साथ, सभी नौसेना इकाइयों और प्रतिष्ठानों को ‘स्वच्छ और हरित’ पर्यावरण की ओर प्रगतिशील परिवर्तन का संकेत देने वाली विविध गतिविधियां करने के लिए प्रोत्साहित करने का प्रयास किया गया है।

विश्व पर्यावरण दिवस 2024 का विषय भूमि की गुणवत्ता की पुनर्स्थापनामरुस्थलीकरण और सूखे से निपटने जैसे वैश्विक मुद्दों से निपटने के समाधानों पर केंद्रित है। समुद्री क्षेत्र में इस विषय को आगे बढ़ाने के लिएवृक्षारोपणमैंग्रोव संरक्षण (2023 के मिष्टी कार्यक्रम के एक भाग के रूप में), कार्बन फुटप्रिंट में कमीतटीय क्षेत्रों से प्लास्टिक निपटान और पुनर्प्राप्तिमैंग्रोव वृक्षारोपण पर नई पहलसमुद्री शैवाल की खेतीप्रवाल भित्ति सर्वेक्षण सभी को सभी केंद्रीय और राज्य सरकार के निकायों और बड़ी संख्या में सरकार द्वारा नामित और पर्यावरण के प्रति जागरूक फर्मों के साथ घनिष्ठ संपर्क में लाया गया है।

भारतीय नौसेना ने तटीय इकोसिस्टम के कायाकल्प और लुप्तप्राय देशी समुद्री प्रजातियों के संरक्षण पर सहयोग आधारित प्रयासों के लिए मार्च 23 में एचसीएल फाउंडेशन और द हैबिटेट्स ट्रस्ट के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे और कई कार्यक्रमों का समन्वय किया गया है। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: -

  1. करवार में जैव विविधता सर्वेक्षण।
  2. पारिस्थितिक संवेदनशील क्षेत्रों में जैव-विविधता पार्क और पगडंडियों का निर्माण।
  3. चरणबद्ध पुनर्स्थापना के लिए अंजेदिवा द्वीप की पारिस्थितिक बहाली और भूभाग मानचित्रण का कार्य प्रगति पर है।
  4. स्थानीय गैर-सरकारी संगठन, रिसर्च एंड एनवायरनमेंटल एजुकेशन फाउंडेशन (आरईईएफ) के सहयोग से लक्षद्वीप और अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह में प्रवाल पुनर्स्थापना योजना।
  5. विशाखापत्तनम और कोच्चि में विभिन्न स्थानों पर फर्म मेसर्स अल्फा एमईआरएस के सहयोग से फ्लोटिंग ट्रैश बैरियर की स्थापना का प्रस्ताव।
  6. प्रारंभिक जैव विविधता सर्वेक्षण करने के लिए आईएनएस चिल्का का दौरा संपन्न हुआ।

 

वर्दीधारी कार्मिकों के रूप में, पर्यावरण चेतना की दिशा में मिलकर काम करने का संकल्प हमारे मूल में समाहित है और एक टीम के रूप मेंभारतीय नौसेना ने अपने अटूट उत्साह को जारी रखने और उस दिशा में आगे बढ़ने का संकल्प लिया है।

हरित जीवन शैली को अपनाने के अंतर्निहित महत्व के साथभारतीय नौसेना ने भारत सरकार की पर्यावरण के लिए जीवन शैली (लाइफपहल के अनुरूप संगठनात्मक और व्यक्तिगत स्तर पर स्वच्छ और हरित कार्य प्रणालियों को अपनाने को प्राथमिकता दी है। ऑक्यूपेंसी सेंसर और स्वचालित नियंत्रक के उपयोग के माध्यम से ऊर्जा की बचत, सौर परियोजनाओं के माध्यम से अक्षय ऊर्जा का संवर्धन-वाहनों पर जोर देते हुए वाहनों से होने वाले प्रदूषण में कमीनौसेना प्रतिष्ठानों के भीतर नो-व्हीकल डे का पालन, जल संरक्षण उपाय और कार्बन फुटप्रिंट में कमी और नए निर्माण भवनों के लिए गृह III मानदंडों का पालन करना इन कदमों में शामिल है।

स्वच्छ भारत अभियान’ के विजन को ध्यान में रखते हुएभारतीय नौसेना ने पुनीत सागर अभियान (पीएसएकार्यक्रम के तहत एक राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू किया है। यह अभियान प्लास्टिक और अन्य कचरे के समुद्री तटों/समुद्र तटों की सफाई और उन्हें स्वच्छ, शांत और प्राचीन रखने के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने पर भी केंद्रित है। स्थानीय नौसैनिक इकाइयां और प्रतिष्ठान नदियों/झीलों सहित तटीय सफाई के लिए हर महीने एक दिन समर्पित करते हैं और अपशिष्ट पदार्थों के जिम्मेदार निपटान/रीसाइक्लिंग के लिए स्थानीय नगर निकायों, गैर-सरकारी संगठनों, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) और राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) के क्षेत्रीय निदेशकों के साथ संपर्क करते हैं।

पहली पहल के रूप में, डीजल इंजन से होने वाले उत्सर्जन को कम करने के लिए मेसर्स चक्र इनोवेशन द्वारा विकसित स्वदेशी मेक और पेटेंटेड रेट्रोफिट डिवाइस को लंबी अवधि के परीक्षणों के लिए तट-आधारित डीजल जेनरेटर पर स्थापित किया गया था। भविष्य में हाइड्रोजन फेरी क्राफ्ट को शामिल करने की भी योजना है, ताकि पर्यावरण की दृष्टि से स्वच्छ तकनीक का इस्तेमाल किया जा सके।

भारत सरकार की जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय सौर मिशन (जेएनएनएसएम) पहल के अनुरूप, नौसेना में सौर ऊर्जा की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए व्यापक प्रयास किए गए हैं। भारतीय नौसेना के प्रतिष्ठानों ने सौर ऊर्जा से चलने वाले उपकरण जैसे कि सौर जल हीटरसौर स्ट्रीट लाइटिंगसौर कुकर आदि स्थापित किए हैं।

सफल कार्यान्वयन में समुदाय की भागीदारी के बल पर की गई की गई पहलों की बड़ी भूमिका है। भारतीय नौसेना में हरित उपायों की स्थापना एक आत्म-जागरूक नौसेना समुदाय के माध्यम से संभव हुई है, जो पर्यावरण सुधार और ऊर्जा संरक्षण की आवश्यकता से अच्छी तरह परिचित है। पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी की भावना को बढ़ावा देने के लिए, सामूहिक श्रमदानतटीय सफाई अभियानवृक्षारोपण अभियानवॉकथॉन आदि जैसे विभिन्न जन भागीदारी कार्यक्रम नियमित रूप से आयोजित किए जाते हैं।

महासागर सफाई गतिविधियों का हिस्सा बनने के लिए फर्मों को शामिल करने के लिए कई प्रयास किए गए हैं। आने वाले वर्षों में इस गतिविधि के फलीभूत होने की संभावना है। इस बीच, अभिनव लेकिन सरल तरीकों से समुद्री जल प्लास्टिक अपशिष्ट सफाई करने के लिए आत्मनिर्भर तरीके अपनाए गए हैं।

कुल मिलाकर, नौसेना हमारे देश के ऊर्जा और पर्यावरण लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ रही है। यह अब एक पूर्ण विकसित "ग्रीन फुटप्रिंट वाली ब्लू वाटर फोर्स" है और हमारी भावी पीढ़ियों के लिए बेहतर पर्यावरण बनाने में अपनी भूमिका के प्रति पूरी तरह सजग है।