नई दिल्ली:अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस ने भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में लाखों खादी कारीगरों के जीवन में एक नई खुशी का संचार किया है। 21 जून को मनाए गए इस विशेष दिन पर खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) ने 55 खादी संस्थाओं के माध्यम से विभिन्न विभागों को 8,67,87,380 रुपये मूल्य के 1,09,022 योग-मैट और 63,700 योग परिधानों की आपूर्ति की। यह एक उल्लेखनीय उपलब्धि है जो खादी के प्रति लोगों की बढ़ती रुचि और समर्थन को दर्शाती है।
केवीआईसी के अध्यक्ष श्री मनोज कुमार ने इन आंकड़ों को जारी करते हुए बताया कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की 'ब्रांड पावर' ने योग के साथ-साथ खादी की भारतीय विरासत को भी लोकप्रिय बना दिया है। उन्होंने कहा, "खादी परिवार के लिए यह गर्व की बात है कि हमारे खादी कारीगरों द्वारा बनाए गए विशेष योग परिधानों और चटाईयों की रिकॉर्ड बिक्री हुई है।"
इस बार योग दिवस पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने श्रीनगर में और केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने अहमदाबाद में खादी के परिधान पहनकर योग किया, जिससे खादी की लोकप्रियता को और बल मिला। यह केवल योग के प्रचार-प्रसार तक सीमित नहीं है, बल्कि ग्रामीण भारत में खादी कारीगरों के जीवन को भी संवार रहा है।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में खादी को एक नई पहचान मिली है। उनकी 'ब्रांड पावर' ने न केवल राष्ट्रीय बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी खादी को एक सम्मानजनक स्थान दिलाया है। प्रधानमंत्री द्वारा खादी के परिधान पहनने और उसे प्रमोट करने से खादी कारीगरों में एक नया उत्साह और गर्व की भावना जाग्रत हुई है।
ग्रामीण क्षेत्रों में खादी के कारीगरों ने विशेष रूप से योग दिवस के लिए तैयार किए गए इन परिधानों और योग-मैट्स को बनाने में अत्यधिक मेहनत और कला का परिचय दिया है। उनके इस प्रयास को देश भर में सराहा जा रहा है और इन उत्पादों की रिकॉर्ड बिक्री ने यह साबित कर दिया है कि खादी का भविष्य उज्जवल है।
खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) के इस महत्वपूर्ण योगदान से न केवल खादी कारीगरों को आर्थिक सहायता मिली है बल्कि उन्हें एक नया पहचान और सम्मान भी प्राप्त हुआ है। यह दिवस ग्रामीण भारत के कारीगरों के लिए विशेष प्रसन्नता लेकर आया है और उन्हें अपने कला और संस्कृति पर गर्व महसूस हो रहा है।
इस उपलब्धि ने यह भी साबित किया है कि खादी का भविष्य उज्जवल है और देश के प्रत्येक नागरिक को इस पर गर्व है। खादी की यह लोकप्रियता न केवल ग्रामीण कारीगरों को लाभान्वित कर रही है बल्कि यह भारतीय संस्कृति और विरासत को भी सशक्त बना रही है।
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर खादी की इस शानदार बिक्री ने खादी को एक नए मुकाम पर पहुंचा दिया है और यह निश्चित रूप से आने वाले समय में भी खादी को और अधिक लोकप्रिय और महत्वपूर्ण बनाएगी।