योग: विधा से विज्ञान तक का सफर

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 21 जून 2024 को जम्मू एवं कश्मीर के श्रीनगर में 10वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस (आईवाईडी) समारोह को संबोधित किया। इस अवसर पर उन्होंने योग के महत्व और उसकी वैज्ञानिकता पर विशेष जोर दिया। योग केवल एक विधा ही नहीं, अपितु एक विज्ञान भी है, जिसे आज पूरी दुनिया मान्यता दे रही है।

प्रधानमंत्री मोदी ने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर जम्मू-कश्मीर की पवित्र भूमि पर उपस्थित सभी लोगों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि योग से उत्पन्न वातावरण, ऊर्जा और अनुभव को श्रीनगर में महसूस किया जा सकता है। उन्होंने दुनिया के विभिन्न हिस्सों में योगाभ्यास करने वाले सभी लोगों को शुभकामनाएं दीं।

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का सफर
10वें वर्षगांठ का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने याद दिलाया कि संयुक्त राष्ट्र में भारत के प्रस्ताव का रिकॉर्ड 177 देशों ने समर्थन किया था। उन्होंने 2015 में कर्त्तव्य पथ पर 35,000 लोगों के योगाभ्यास और पिछले वर्ष संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में आयोजित योग कार्यक्रम में 130 से अधिक देशों की भागीदारी का जिक्र किया। आयुष मंत्रालय द्वारा गठित योग प्रमाणन बोर्ड ने अब तक भारत के 100 से अधिक संस्थानों और 10 प्रमुख विदेशी संस्थानों को मान्यता दी है।

वैश्विक आकर्षण और स्वीकार्यता
प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया भर में योगाभ्यास करने वालों की संख्या बढ़ रही है और इसका आकर्षण निरंतर बढ़ रहा है। वैश्विक नेताओं में योग के प्रति बढ़ती रुचि का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि कैसे तुर्कमेनिस्तान, सऊदी अरब, और मंगोलिया में योग लोकप्रिय हो चुका है। यूरोप में भी योग की स्वीकार्यता बढ़ रही है, जहाँ अब तक 1.5 करोड़ जर्मन नागरिक योगाभ्यासी बन चुके हैं। उन्होंने 101 वर्षीय फ्रांसीसी योग शिक्षिका के योगदान का भी उल्लेख किया, जिन्हें इस वर्ष पद्मश्री से सम्मानित किया गया।

योग: बदलती धारणाएं और नई योग अर्थव्यवस्था
पिछले 10 वर्षों में योग के विस्तार के कारण इसकी धारणा में भी बदलाव आया है। प्रधानमंत्री ने नई योग अर्थव्यवस्था की चर्चा करते हुए योग पर्यटन, योग रिट्रीट, रिसॉर्ट, हवाई अड्डों और होटलों में योग के लिए समर्पित सुविधाओं, योग परिधान और उपकरण, व्यक्तिगत योग प्रशिक्षकों और माइंडफुलनेस वेलनेस पहल का उल्लेख किया। ये सभी युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर सृजित कर रहे हैं।

स्वयं और समाज के लिए योग
इस वर्ष के अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का विषय- 'स्वयं और समाज के लिए योग' है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि योग हमें अतीत के बोझ से मुक्त कर वर्तमान में जीने की प्रेरणा देता है। यह एहसास दिलाता है कि हमारा कल्याण हमारे आस-पास की दुनिया के कल्याण से जुड़ा है।

योग के वैज्ञानिक पहलू
प्रधानमंत्री ने योग के वैज्ञानिक पहलुओं पर बल देते हुए बताया कि कैसे सूचना के अतिरेक से निपटने और एकाग्रता बनाए रखने में योग महत्वपूर्ण है। सेना, खेल, अंतरिक्ष यात्रियों, और कैदियों के बीच योग का उपयोग इसके सकारात्मक प्रभावों के कारण बढ़ रहा है। योग समाज में सकारात्मक बदलाव के नए मार्ग प्रशस्त कर रहा है।

अंत में, प्रधानमंत्री ने कहा कि योग एक वैज्ञानिक पद्धति है जो न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक विकास में भी सहायक है। योग का यह सफर विधा से विज्ञान तक का है, जिसे अब पूरी दुनिया मान्यता दे रही है और इसमें निहित अपार संभावनाओं को स्वीकार कर रही है। योग दिवस पर प्रधानमंत्री के ये विचार न केवल योग के महत्व को रेखांकित करते हैं बल्कि इसके व्यापक प्रभाव को भी दर्शाते हैं।