नई दिल्ली भारत के 9 प्रमुख बंदरगाहों ने वैश्विक मंच पर एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने बताया कि विश्व बैंक और एसएंडपी ग्लोबल मार्केट इंटेलिजेंस द्वारा जारी की गई कंटेनर पोर्ट परफॉर्मेंस इंडेक्स (सीपीपीआई) की नवीनतम रिपोर्ट में भारत के 9 बंदरगाह वैश्विक शीर्ष 100 बंदरगाहों की सूची में शामिल हुए हैं।
इस सूची में सबसे उल्लेखनीय सुधार विशाखापत्तनम बंदरगाह ने किया है, जो वर्ष 2022 में 115वें स्थान से उछलकर 2023 में 19वें स्थान पर पहुंच गया है। यह उपलब्धि भारत के लिए अपनी तरह की पहली है और विशाखापत्तनम बंदरगाह के बेहतरीन प्रदर्शन को दर्शाती है। इसके अलावा, मुंद्रा बंदरगाह भी 48वें स्थान से सुधार कर वर्तमान में 27वें स्थान पर पहुंच गया है।
इस उपलब्धि पर केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा, "यह भारतीय पत्तनों के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। यह प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा बंदरगाहों के आधुनिकीकरण, मशीनीकरण एवं प्रौद्योगिकीय रूप से दक्ष बनाने के लिए किए गए प्रयासों का प्रमाण है।" उन्होंने प्रधानमंत्री के दूरदर्शी नेतृत्व और सागरमाला कार्यक्रम को मुख्य श्रेय दिया, जिसने भारतीय बंदरगाहों की दक्षता और कार्य प्रदर्शन में उल्लेखनीय सुधार किया है।
विशाखापत्तनम बंदरगाह की कार्य क्षमता के आंकड़ों को देखते हुए, प्रति क्रेन घंटे 27.5 मूव, 21.4 घंटे का टर्नअराउंड समय (टीआरटी) और न्यूनतम बर्थ आइडल टाइम के साथ यह बंदरगाह ग्राहकों के बीच एक महत्वपूर्ण पसंद बन गया है। इसके अलावा, अन्य सात भारतीय बंदरगाह भी शीर्ष 100 में अपनी जगह बनाने में सफल रहे हैं। इनमें पीपावाव (41), कामराजार (47), कोचीन (63), हजीरा (68), कृष्णापट्टनम (71), चेन्नई (80) और जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह (96) शामिल हैं।
केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने इस अवसर पर जोर देकर कहा कि सागरमाला जैसी पथ-प्रदर्शक गतिविधियों के माध्यम से भारतीय बंदरगाहों की दक्षता में सुधार हुआ है। इससे वैश्विक बाजारों की स्थिरता और भारत के समुद्री व्यापार की स्थिरता सुनिश्चित करने में मदद मिली है। उन्होंने आगे कहा कि परिचालन दक्षता व सेवा वितरण के माध्यम से जहाजों और कार्गो के कुशल संचालन में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।
यह उल्लेखनीय प्रगति भारतीय समुद्री क्षेत्र, समुद्री प्रवेशद्वारों के लचीलेपन और दक्षता में सुधार करने में सहायक होगी और बंदरगाह आधारित आर्थिक विकास को विस्तारित करेगी। यह भारत के समुद्री व्यापार और वैश्विक बाजार में देश की प्रतिस्पर्धात्मकता को भी मजबूती प्रदान करेगा।