नई दिल्ली मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) 14 मई, 2024 को अपना 250वां स्थापना दिवस मना रहा है। इस अवसर को स्मरणीय बनाने के लिए मुंबई में विशेष कार्यक्रमों की एक श्रृंखला आयोजित की गई, जिसकी अध्यक्षता रक्षा सचिव श्री गिरिधर अरमाने ने की। इन गतिविधियों में मुंबई बंदरगाह प्राधिकरण (एमपीए) से अधिग्रहित निकटवर्ती भूमि का पूजन; लघु आकार की पनडुब्बी प्रोटोटाइप का शुभारंभ, सोलर इलेक्ट्रिक हाइब्रिड नाव तथा ईंधन-सेल इलेक्ट्रिक नौका की कमीशनिंग; मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड का स्मारक सिक्का जारी करना और एक दिवसीय तकनीकी सेमिनार का आयोजन शामिल था।
रक्षा सचिव ने अपने संबोधन में मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड को भारत का एक अनमोल रत्न बताया, जिसने नौसेना के साथ-साथ अन्य वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए विभिन्न क्षमताओं को विकसित करके देश की अर्थव्यवस्था एवं सुरक्षा में बहुत बड़ा योगदान दिया है। उन्होंने देश के सबसे बड़े शिपयार्ड होने, भारतीय नौसेना की अधिकांश संपत्तियों के निर्माण के माध्यम से अपना योगदान देने, एक बड़े निर्यात बाजार और विदेशी व्यवसायियों के साथ सहयोग के लिए मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड की सराहना की।
श्री गिरिधर अरमाने ने जोर देकर कहा कि भारत की हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका है और इसके द्वारा देश की विकास गाथा का हिस्सा बनने के उद्देश्य से निजी क्षेत्र को शामिल करके तथा उन्हें प्रेरित करके भारत की जहाज निर्माण क्षमताओं को सशक्त बनाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने आज के समय में आत्मनिर्भरता हासिल करने के महत्व को उजागर किया। रक्षा सचिव ने मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड से युद्धपोत निर्माण प्रौद्योगिकी में अपनी वास्तविक क्षमता का पूरी तरह से इस्तेमाल करने का आह्वान किया। उन्होंने शिपयार्ड से निजी क्षेत्र के साथ सहयोग करने और भारत की आवश्यकताओं के साथ-साथ मित्र देशों की जरूरतों को भी पूरा करने के लिए जहाज निर्माताओं का एक संघ बनाने का आग्रह किया।
रक्षा सचिव ने भारतीय नौसेना द्वारा अरब सागर में भारतीय अभियानों सहित पूरे क्षेत्र में और उससे भी कहीं आगे तक सुरक्षा प्रदान करने में निभाई जा रही प्रमुख भूमिका का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि वर्तमान में भू-राजनीतिक परिदृश्य ऐसा है कि भारत की नौसेना एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रहेगी, जिसके लिए जहाज निर्माताओं को काफी योगदान देना होगा। गिरिधर अरमाने ने कहा कि भारत किसी भी तरह की वस्तु आधारित निरंतर आपूर्ति के लिए दूसरों पर निर्भर नहीं रह सकता है। हमें नवाचार के माध्यम से नवीनतम तकनीकों का उत्पादन करने के लिए स्वदेशी क्षमता विकसित करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि भारत के लिए अपनी सीमाओं की सुरक्षा हेतु शीर्ष श्रेणी की प्रौद्योगिकियों में महारत हासिल करना अब काफी महत्वपूर्ण हो चुका है।