नई दिल्ली स्कूल ऑफ बिजनेस एनवायरनमेंट, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ कॉरपोरेट अफेयर्स (आईआईसीए) ने भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय के सहयोग से आज नई दिल्ली में 'भारत में शीर्ष 1,000 सूचीबद्ध कंपनियों द्वारा अनुसंधान एवं विकास पर व्यय' के संबंध में गोलमेज परामर्श का आयोजन किया।
इस गोलमेज़ परामर्श का आयोजन अनुसंधान एवं विकास पर व्यय के संबंध में कॉर्पोरेट विचारों को समेकित करने, कंपनी की प्रगति और लंबे समय तक स्थिरता के लिए अनुसंधान एवं विकास में निवेश की आवश्यकता से अवगत कराने और अनुसंधान एवं विकास से संबंधित प्रकटीकरण की आवश्यकता से अवगत कराने के लिए वर्तमान में जारी शोध के अंर्तगत किया गया। इस गोलमेज परामर्श का उद्देश्य देश के अनुसंधान एवं विकास परिदृश्य के बारे में आईआईसीए द्वारा किए गए शोध अध्ययन के अनंतिम निष्कर्षों पर इनपुट और कॉर्पोरेट जगत की अग्रणी हस्तियों की प्रतिक्रिया प्राप्त करना है।
भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. अजय कुमार सूद ने इस अवसर पर अपने मुख्य भाषण में इस बात पर बल दिया कि अनुसंधान एवं विकास डेटा हासिल करने के लिए एक मजबूत और मानकीकृत मानदंड अपनाया जाना चाहिए। प्रोफेसर सूद ने भारत के - सेवा-संचालित अर्थव्यवस्था से उत्पाद-संचालित अर्थव्यवस्था में परिवर्तन की परिकल्पना की। प्रोफेसर सूद ने कहा कि सेवाओं द्वारा महत्वपूर्ण भूमिका निभाए जाने के बावजूद, नवाचार और उत्पाद विकास के माध्यम से ही हम प्रगति कर वैश्विक स्तर पर प्रमुख स्थान हासिल कर सकते हैं। उन्होंने कंपनियों से रचनात्मकता और जोखिम लेने की संस्कृति को बढ़ावा देते हुए अनुसंधान एवं विकास में रणनीतिक रूप से निवेश करने का आग्रह किया। प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए भारत को इस विकसित अर्थव्यवस्था के विजन को साकार करने के लिए सार्वजनिक-निजी फंडिंग मॉडल को सेतु के रूप में अपनाना होगा। प्रोफेसर सूद के संबोधन ने भारत के अनुसंधान एवं विकास एजेंडे की तात्कालिकता को रेखांकित किया। प्रोफेसर सूद ने कहा कि यह केवल संख्याओं के बारे में ही नहीं; बल्कि हमारे भाग्य को आकार देने, नवाचार को बढ़ावा देने और आने वाली पीढ़ियों के लिए विरासत छोड़ने के बारे में भी है।