नई दिल्ली भारत सरकार के नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के अंतर्गत अनुसंधान और विकास योजना के कार्यान्वयन के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं।
अनुसंधान और विकास योजना हरित हाइड्रोजन के उत्पादन, भंडारण, परिवहन और उपयोग को और अधिक किफायती बनाने का प्रयास करती है। इसका उद्देश्य हरित हाइड्रोजन मूल्य श्रृंखला में सम्मिलित प्रासंगिक प्रक्रियाओं और प्रौद्योगिकियों की दक्षता, सुरक्षा और विश्वसनीयता में सुधार करना भी है।
इस योजना का उद्देश्य हरित हाइड्रोजन प्रौद्योगिकियों के लिए एक नवाचार इकोसिस्टम स्थापित करने के लिए उद्योग, शिक्षा जगत और सरकार के बीच साझेदारी को प्रोत्साहन प्रदान करना भी है। यह योजना आवश्यक नीति और नियामक सहायता प्रदान करके हरित हाइड्रोजन प्रौद्योगिकियों के विस्तार और व्यावसायीकरण में भी सहायता करेगी। 15 मार्च, 2024 को योजना के दिशानिर्देशों को जारी किया गया था, जिसमें उल्लेख किया गया है कि अनुसंधान और विकास योजना वित्तीय वर्ष 2025-26 तक 400 करोड़ रुपये के कुल बजटीय परिव्यय के साथ लागू की जाएगी।
अनुसंधान और विकास कार्यक्रम के समर्थन में हरित हाइड्रोजन मूल्य श्रृंखला के सभी घटक, अर्थात् उत्पादन, भंडारण, संपीड़न, परिवहन और उपयोग सम्मिलित हैं। मिशन के अंतर्गत समर्थित अनुसंधान और विकास परियोजनाएं लक्ष्य-केन्द्रित, समयबद्ध और वृद्धि करने के लिए उपयुक्त होंगी। योजना के अंतर्गत औद्योगिक और संस्थागत अनुसंधान के अलावा, स्वदेशी प्रौद्योगिकी विकास पर काम करने वाले नवीन सूक्ष्म, लघु और माध्यम उद्यम (एमएसएमई) और स्टार्ट-अप को भी प्रोत्साहित किया जाएगा। योजना दिशानिर्देश यहाँ पर क्लिक करके देखे जा सकते हैं।
दिशानिर्देशों के जारी होने के बाद, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने 16 मार्च, 2024 को प्रस्तावों के लिए मांग जारी की थी। जहां एक ओर प्रस्तावों के लिए मांग को उत्साहजनक प्रतिक्रिया मिल रही है, वहीं कुछ हितधारकों ने अनुसंधान एवं विकास प्रस्तावों को प्रस्तुत करने के लिए कुछ और अधिक समय का अनुरोध किया है। मंत्रालय ने ऐसे अनुरोधों को ध्यान में रखते हुए और संस्थानों को अच्छी गुणवत्ता वाले प्रस्ताव प्रस्तुत करने के लिए पर्याप्त समय देने के लिए प्रस्ताव को जमा करने की समय सीमा 27 अप्रैल, 2024 तक बढ़ा दी है। प्रस्ताव जमा करने के समय में विस्तार का आदेश यहाँ पर क्लिक करके देखा जा सकता है।