17वीं लोकसभा की आखिरी बैठक को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री के वक्तव्य का मूल पाठ

 

न्यू दिल्ली आज का ये दिवस लोकतंत्र की एक महान परंपरा का महत्वपूर्ण दिवस है। सत्रहवीं लोकसभा ने पांच वर्ष देश सेवा में जिस प्रकार से अनेक विविध महत्वपूर्ण निर्णय किए। अनेक चुनौतियों को सबने अपने सामर्थ्य से देश को उचित दिशा देने का प्रयास, एक प्रकार से ये आज का दिवस हम सबकी उन पांच वर्ष की वैचारिक यात्रा का, राष्ट्र को समर्पित उस समय का, देश को फिर से एक बार अपने संकल्पों को राष्ट्र के चरणों में समर्पित करने का ये अवसर है। ये पांच वर्ष देश में रिफॉर्म, परफॉर्म एंड ट्रांसफॉर्म, ये बहुत rare होता है, कि रिफार्म भी हो, परफॉर्म भी हो और हम ट्रांसफॉर्म होता अपनी आंखों के सामने देख पाते हों, एक नया विश्वास भरता हो। ये अपने आप में सत्रहवीं लोकसभा से आज देश अनुभव कर रहा है। और मुझे पक्का विश्वास है कि देश सत्रहवीं लोकसभा को जरूर आशीर्वाद देता रहेगा। इन सभी प्रक्रियाओं में सदन के सभी माननीय सदस्यों का बहुत महत्वपूर्ण रोल रहा है, महत्वपूर्ण भूमिका रही है। और ये समय है कि मैं सभी माननीय सांसदों का इस ग्रुप के नेता के नाते भी और आप सबको एक साथी के नाते भी आप सबका अभिनंदन करता हूं।