नई दिल्ली पर्यटन मंत्रालय ने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सहयोग से 6 जनवरी, 2024 को अमृत धरोहर क्षमता निर्माण योजना के तहत रामसर स्थल चिल्का झील पर पांचवां प्रशिक्षण शुरू किया। यह प्रशिक्षण चिल्का झील के स्थानीय समुदाय, नाव मालिकों और वन विभाग के अधिकारियों के लिए आयोजित किया गया है। इस अवसर पर पर्यटन मंत्रालय की क्षेत्रीय निदेशक (पूर्व) डॉ. सागनिक चौधरी, पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के वैज्ञानिक 'ई', डॉ. एम. रमेश, आईआईटीटीएम भुवनेश्वर के नोडल अधिकारी और प्रमुख, डॉ. मोहम्मद साबिर हुसैन, चिल्का वन्यजीव प्रभाग के क्षेत्रीय वन अधिकारी और चिल्का विकास प्राधिकरण के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी, डॉ. अमलान नाइक और चिल्का विकास प्राधिकरण और ओडिशा सरकार के वन विभाग के अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे।
इस पहल के अंतर्गत 15-15 दिनों के दो प्रशिक्षण कार्यक्रम अर्थात् वैकल्पिक आजीविका कार्यक्रम (एएलपी) और पर्यटन नाविक प्रमाणपत्र (पीएनसी) आयोजित किए जाएंगे। चिल्का विकास प्राधिकरण (सीडीए) की मदद से प्रशिक्षण देने और बाद में उन्हें प्रकृति-मार्गदर्शक के रूप में प्रमाणित करने के लिए चिल्का झील और उसके आसपास के स्थानीय समुदायों से कुल 60 प्रतिभागियों (प्रत्येक पाठ्यक्रम के लिए 30) की पहचान की गई है।
यह पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की अमृत धरोहर पहल के अंतर्गत देश भर में रामसर स्थलों की प्रकृति-पर्यटन क्षमता का दोहन करके स्थानीय समुदायों के लिए आजीविका के अवसरों को बढ़ाने के प्रयास का हिस्सा है। इस कार्यक्रम के पहले चरण में, पांच प्राथमिकता वाले रामसर स्थलों- सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान, सिरपुर वेटलैंड, यशवंत सागर, भितरकनिका राष्ट्रीय उद्यान और चिल्का झील की पहचान की गई। सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान, सिरपुर वेटलैंड और यशवंत सागर के लिए पहले तीन प्रशिक्षण कार्यक्रम दिसंबर 2023 में सफलतापूर्वक संपन्न हो चुके हैं। चौथे प्रशिक्षण का उद्घाटन 5 जनवरी, 2024 को हुआ था और यह प्रशिक्षण जारी है।