नई दिल्ली भारत माता की जय!
माँ भारती के जयघोष की ये गूंज, भारतीय सेनाओं और सुरक्षाबलों के पराक्रम का ये उद्घोष, ये ऐतिहासिक धरती, और दीपावली का ये पवित्र त्योहार। ये अद्भुत संयोग है, ये अद्भुत मिलाप है। संतोष और आनंद से भर देने वाला ये पल मेरे लिए भी, आपके लिए भी और देशवासियों के लिए भी दिवाली में नया प्रकाश पहुंचायेगा, ऐसा मेरा विश्वास है। मैं आप सभी को, सभी देशवासियों को सीमा पर से, आखिरी गांव से, जिसे मैं अब पहला गांव कहता हूं, वहां तैनात हमारे सुरक्षाबल के साथियों के साथ जब दीपावली मना रहा हूं, तो सभी देशवासियों को दीपावली की ये बधाई भी बहुत स्पेशल हो जाती है। देशवासियों को मेरी बहुत-बहुत बधाई, दीपावली की शुभकामनाएं।
मेरे परिवारजनों,
मैं अभी काफी ऊंचाई पर लेपचा तक होकर आया हूं। कहा जाता है कि पर्व वहीं होता है, जहां परिवार होता है। पर्व के दिन अपने परिवार से दूर सीमा पर तैनात रहना, ये अपने आप में कर्तव्यनिष्ठा की पराकाष्ठा है। परिवार की याद हर किसी को आती है लेकिन आपके चेहरों पर इस कोने में भी उदासी नजर नहीं आ रही है। आपके उत्साह में कमी का नामोनिशान नहीं है। उत्साह से भरे हुए हैं, ऊर्जा से भरे हुए हैं। क्योंकि, आप जानते हैं कि 140 करोड़ देशवासियों का ये बड़ा परिवार भी आपका अपना ही है। और देश इसलिए आपका कृतज्ञ है, ऋणी है। इसलिए दीपावली पर हर घर में एक दीया आपकी सलामती के लिए भी जलता है। इसलिए हर पूजा में एक प्रार्थना आप जैसे वीरों के लिए भी होती है। मैं भी हर बार दिवाली पर सेना के अपने सुरक्षाबलों के जवानों के बीच इसी एक भावना को लेकर के चला जाता हूँ। कहा भी गया है- अवध तहाँ जहं राम निवासू! यानी, जहां राम हैं, वहीं अयोध्या है। मेरे लिए जहां मेरी भारतीय सेना है, जहां मेरे देश के सुरक्षाबल के जवान तैनात हैं, वो स्थान किसी भी मंदिर से कम नहीं है। जहां आप हैं, वहीं मेरा त्योहार है। और ये काम शायद 30-35 साल से भी ज्यादा समय हो गया होगा। मैंने कोई दिवाली ऐसी नहीं है, जो आप सबके बीच जाकर ना मनाई हो, 30-35 साल से। जब PM नहीं था, CM नहीं था, तब भी एक गर्व से भरे भारत की संतान के नाते मैं दिवाली पर किसी ना किसी बॉर्डर पर जरूर जाता था। आप लोगों के साथ मिठाइयों का दौर तब भी चलता था और मेस का खाना भी खाता था और इस जगह का नाम भी तो शुगर प्वाइंट है। आपके साथ थोड़ी सी मिठाई खाकर, मेरी दीपावली भी और मधुर हो गई है।
मेरे परिवारजनों,
इस धरती ने इतिहास के पन्नों में पराक्रम की स्याही से अपनी ख्याति खुद लिखी है। आपने यहाँ की वीरता की परिपाटी को अटल, अमर और अक्षुण्ण बनाया है। आपने साबित किया है कि- आसन्न मृत्यु के सीने पर, जो सिंहनाद करते हैं। मर जाता है काल स्वयं, पर वे वीर नहीं मरते हैं। हमारे जवानों के पास हमेशा इस वीर वसुंधरा की विरासत रही है, सीने में वो आग रही है जिसने हमेशा पराक्रम के प्रतिमान गढ़े हैं। प्राणों को हथेली पर लेकर हमेशा हमारे जवान सबसे आगे चले हैं। हमारे जवानों ने हमेशा साबित किया है कि सीमा पर वो देश की सबसे सशक्त दीवार है।