पंकज पाराशर छतरपुर
मध्य प्रदेश में छतरपुर जिला भी पिछड़े इलाके में माना जाता है। बेरोजगारी, कपोषण, अशिक्षा, पलायन जैसी समस्याएं छतरपुर जिले में प्रदेश के बाकी इलाकों से ज्यादा है। राजनैतिक दलों के द्वारा हर बार चुनाव इन्हीं मुद्दों पर लड़ा जाता है। लेकिन मतदान के ठीक पहले जातिय समीकरण वाला मामला हाबी हो जाता है। जिले में दल से ज्यादा जातियों को साधने में प्रत्याशियों के द्वारा जोर दिया जा रहा है।
जातिय समीकरणों के चलते जिले में बीजेपी और कांग्रेस के साथ समाजवादी पार्टी और बसपा भी अपनी ताकत दिखा रही है। इन दोनों ही दलों को वोट कटुआ माना जाता है। पिछले 2018 के चुनाव में जिले की छ: विधानसभा सीटों में से चार पर कांग्रेस विजयी हुई थी। एक बिजावर सीट समाजवादी पार्टी के खाते में महज चंदला विधानसभा से ही भाजपा प्रत्याशी की जीत हुई थी।
लेकिन सिंधिया के कांग्रेस छोडऩे के बाद बड़ामलहरा व बिजावर विधायक भाजपा में शामिल हो गए थे। छतरपुर शहर से कांग्रेस ने आलोक चतुर्वेदी को पुन: मैदान में उतारा है तो वहीं उनके सामने भाजपा से ललिता यादव चुनाव लड़ रही है। बिजावर में सीधी टक्कर कांग्रेस और भाजपा में तो वहीं सपा से भाजपा की पूर्व विधायक रेखा यादव के मैदान में उतरने मामला बेहद कड़ा हो गया है।
महाराजपुर मेंं कांग्रेस से नीरज दीक्षित तो भाजपा से पूर्व मंत्री भंवर राजा के पुत्र कामख्या प्रताप सिंह चुनावी मैदान में है। इस सीट पर भाजपा का जबरजस्द आंतरिक विरोध हो रहा है तो वहीं कांग्रेस खेमे से बागी होकर दौलत तिवारी ने भी मुकाबले को त्रिकोणिय बना दिया है। बड़ामलहरा में प्रदुम्न सिंह लोधी भाजपा से कांग्रेस से रामसीया भारती के बीच सीधी टक्कर मानी जा रही है। राजनगर में बी.डी. शर्मा के करीबी अरविन्द्र पटैरिया और कांग्रेस से विक्रम सिंह नातीराजा चुनावी मैदान में है। इस सीट पर भाजपा से बागी होकर पूर्व जिलाध्यक्ष घासीराम पटेल चुनाव परिणामों को रोचक बनाने में लगे हुए है। चंदला सीट पर भाजपा ने जहां अपने सीटिग एमएलए की सीट काटकर दिलीप अहिरवार को चुनावी मैदान में उतारा है तो कांग्रेस ने भी परपंरागत प्रत्याशी हरप्रसाद अनुरागी उर्फ गोपी मास्टर को मैदान में उतारा है।
ललिता और अरविन्द्र पटैरिया का राजनैतिक भविष्य दांव पर
भारतीय जनता पार्टी की पूर्व मंत्री ललिता यादव व प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा के बेहद करीबी माने जाने वाले अरविन्द्र पटैरिया का इस चुनाव में राजनैतिक भविष्य दांव पर लगा हुआ है। पिछले 2018 के चुनाव में बड़ामलहरा से भाजपा की प्रत्याशी रहीं ललिता यादव कांग्रेस के प्रत्याशी से चुनाव हार गई थी। इस बार वह अपनी परम्परागत सीट छतरपुर सदर से चुनाव लड़ रही है। उनके प्रतिद्विदी आलोक चतुर्वेदी वर्तमान में कांग्रेस पार्टी से विधायक है। ऐसा माना जा रहा है इन दोनों के बीच बेहद कांटे की टक्कर देखने को मिलेगी। अगर ललिता यादव इस बार चुनाव नहीं जीतती तो उनका राजनैतिक भविष्य भी दांव पर माना जा रहा है तो वहीं राजनगर विधानसभा से भाजपा के अरविन्द्र पटैरिया पिछला चुनाव हार कर भी दूसरी बार प्रत्याशी बनाए गये है। माना जा रहा है कि इस सीट पर प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा की शाख दांव पर लगी हुई है। भारी विरोध होने के बावजूद भी अरविन्द्र पटैरिया को भाजपा ने प्रत्याशी बनाया है। संघ से लेकर भाजपा का आला कमान इस सीट को जिताने के ऐड़ी चोटी का जोर लगाए हुए है।
*बिजावर में स्थानीय और बाहरी का मुद्दा पकड़े है तूल*
बिजावर विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी ने राजेश बबलू शुक्ला को अपना प्रत्याशी बनाया हुआ है तो वहीं कांग्रेस से चरण सिंह यादव चुनावी मैदान में है। माना जा रहा था कि जनता बीते 20 सालों से भाजपा की सरकार से ऊब गई है। और राजनैतिक विशलेषज्ञ का कहना है कि यह सीट कांग्रेस आसानी से जीत सकती थी, लेकिन स्थानीय दावेदारों को दरकिनार कर बाहरी व्यक्ति को कांग्रेस ने मैदान में उतारा है। जिस कारण उम्मीदवारी की घोषणा होते ही आज तक विरोध किया जा रहा है। इस सीट पर स्थानीय बनाम बाहरी का मुद्दा तूल पकड़े हुए है जिससे बीजेपी को लाभ मिलना माना जा रहा है। हालांकि भाजपा का भी भारी विरोध निकलकर सामने आया है। भाजपा की दो बार विधायक रही रेखा यादव ने पार्टी से बगावत कर सपा से चुनाव लड़कर भाजपा को भारी नुकसान होने की कगार पर खड़ा कर दिया है।