भगवान श्री कृष्ण जन्मोत्सव पर विशेष रामजी पांडे की कलम से

भगवान श्रीकृष्ण का जन्म उत्सव, हमारे देश में एक महत्वपूर्ण हिन्दू त्योहार है, जिसे "श्री कृष्ण जन्मोत्सव" या "श्री कृष्ण जयंती" के नाम से भी जाना जाता है। यह उत्सव हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष में मनाया जाता है, जो कि हिन्दू पंचांग के अनुसार अगस्त या सितंबर के महीने में आता है।

श्री कृष्ण जी का जन्म बृजभूमि में माता यशोदा और नंद बाबा के घर हुआ था। इस दिन को खासतर सबको अपने घरों को सजाना और श्रीकृष्ण की मूर्ति को श्रृंगारित करके पूजन करना चाहिए। लोग इस दिन व्रत रखकर भगवान के लिए नैवेद्य, फल, मिठाई, दूध, घी, और मुरगा बलिदान करते हैं।

श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के दौरान, भगवान की लीलाएँ और कथाएँ सुनाई जाती हैं, जिनमें कंस, पूतना, नरकासुर, और केशी जैसे दुष्ट राक्षसों के साथ भगवान के लड़ाई का वर्णन होता है। यह उत्सव हिन्दू धर्म में भगवान की लीलाओं को याद करने का मौका प्रदान करता है और भक्तों को अपने आदर्शों की दिशा में अग्रसर करता है।

इस उत्सव के दौरान, भगवान की मूर्तियों को विशेष धूप, दीपक, फूल, और पुष्पांजलि से सजाया जाता है। सभी लोग भगवान के भजन और कीर्तन में करते हैं और भक्ति भाव से पूजा करते हैं।

श्री कृष्ण जन्मोत्सव के दिन, विभिन्न जगहों पर नाट्य-नृत्य प्रस्तुत किए जाते हैं, और भगवान की रासलीला का प्रदर्शन किया जाता है। इसे एक खुशी और आनंद का महोत्सव माना जाता है, जिसमें सभी लोग एक साथ मिलकर रंग-बिरंगे वस्त्र पहनकर नृत्य और गीत गाते हैं। कुछ जगह पर मटकी फोड़ कार्यक्रम भी किया जाता है।

श्री कृष्ण जन्मोत्सव के माध्यम से हम सब भगवान के जीवन के महत्वपूर्ण संदेशों को सीखते हैं और उनके लीलाओं का आनंद लेते हैं। इस अवसर पर हमें अपने जीवन में भगवान के आदर्शों का पालन करने का संकल्प लेना चाहिए और एक दूसरे के साथ मिलकर खुशियों का आनंद लेते है।

इस पावन उत्सव के दिन, हमें भगवान श्री कृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त होता है और हमारे जीवन में सुख-शांति का वातावरण बनता है। इसलिए, हमें श्री कृष्ण जन्मोत्सव को बड़े ही धूम धाम से मनाना चाहिए।