वर्षो से कॉलेजों में पढ़ा रहे हैं नहीं है कोई आइडेंटिटी


                
   फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फॉर सोशल जस्टिस के चेयरमैन डॉ. हंसराज  सुमन ने दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलसचिव (रजिस्ट्रार)  को  पत्र लिखकर  मांग की है कि दिल्ली विश्वविद्यालय के विभागों/ संस्थानों / कॉलेजों में पढ़ाने वाले एडहॉक शिक्षकों का आईकार्ड बनाने की मांग की है। पत्र में उन्हें बताया है कि सम्बद्ध विभागों , संस्थानों और कॉलेजों में वर्षो से एडहॉक शिक्षकों के रूप में अपनी सेवाएं देने के बावजूद इन शिक्षकों का आईकार्ड ( परिचय पत्र ) के बिना कोई आइडेंटिटी नहीं है जबकि  एसी/ईसी व डूटा चुनावों के समय ये एडहॉक शिक्षक  महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं । बता दें कि इन एडहॉक शिक्षकों में लगभग 2800 शिक्षक मेडिकल , विभागों व कॉलेजों में स्थायी हो गए हैं । 

                  डॉ. सुमन ने पत्र में यह भी लिखा है कि इन एडहॉक शिक्षकों को यूनिवर्सिटी की फैकल्टी में स्ट्रडी ,लाइब्रेरी, किसी संस्थान/कार्यालय अथवा कॉलेजों में किसी से मिलने के लिए जाते हैं तो गेटकीपर या अधिकारी पहचान के लिए इन शिक्षकों से आईकार्ड की मांग करते हैं तो ऐसी स्थिति में अपना सा मुहँ लेकर रह जाते हैं क्योंकि कॉलेज/विभागों ने उनका आईकार्ड एडहॉक होने के कारण नहीं बनाया गया। कुछ एडहॉक शिक्षकों ने उन्हें बताया है कि जो शिक्षक छुट्टियों के समय दिल्ली से बाहर अपने घर जाते समय पूछताछ के दौरान उनसे आईकार्ड मांगा जाता है लेकिन उनके पास नहीं होने से अपना सा मुँह लेकर रहना पड़ा।

               डॉ. सुमन ने कुलसचिव (रजिस्ट्रार)  को लिखे पत्र में मांग की है कि 27 सितम्बर 2023 को होने वाले दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ ( डूटा )  के चुनाव से पूर्व आपके कार्यालय से एक सर्कुलर जारी किया जाए जिसमें कॉलेजों के प्रिंसिपलों / संस्थानों के निदेशको को निर्देश दिए जाये कि परमानेंट टीचर्स की भांति एडहॉक शिक्षकों का भी आईकार्ड बनाया जाए। डीयू के एडहॉक टीचर्स बैंक, पासपोर्ट, लायब्रेरी, हॉस्पिटल या किसी सरकारी कार्यालय द्वारा मांगने पर उसे दिखा सके अन्यथा जब एडहॉक टीचर यह कहता है कि मै दिल्ली यूनिवर्सिटी में अध्यापन कार्य  करता हूं और तब  उससे आईकार्ड की मांग की जाती है उसके पास ना होने पर अपमानित सा महसूस करते हैं । उन्होंने बताया है कि कुछ कॉलेज इन एडहॉक टीचर्स का आईकार्ड बनाते हैं लेकिन किलियरेन्स के समय उनसे आईकार्ड वापिस ले लिया जाता है। अगले सत्र में ज्वाइनिंग के बाद बना देते हैं मगर यह व्यवस्था कुछ ही कॉलेजों में है । सभी कॉलेजों में एक जैसा नियम लागू हो । उन्होंने यह भी कहा है कि आईकार्ड का कोई टीचर गलत इस्तेमाल( मिसयूज ) ना करें इसके लिए आईकार्ड में अपॉइंटमेंट डेट, वेलिडिटी डेट, डेट ऑफ बर्थ, रेजिडेंस , स्टेट  आदि अवश्य लिखे क्योंकि कुछ कॉलेजों द्वारा एडहॉक टीचर्स को वर्कलोड़ का बहाना बनाकर या पोस्ट खत्म हो गई दिखाकर दूसरे सेमेस्टर में नहीं रखते हैं, ऐसी स्थिति में उस टीचर से आईकार्ड वापिस ले लिया जाए।

               डॉ. सुमन ने यह भी बताया है कि कुछ कॉलेजों में 20 से अधिक एडहॉक टीचर्स तो ऐसे है जो 2008 ,2009, 2010  , 2012 से नियमित रूप से एडहॉक कैपेसिटी में उन्हीं कॉलेजों में पढ़ा रहे हैं उनका भी कॉलेजों ने आईकार्ड नहीं बनाया है ,कुछ कॉलेजों के टीचर्स ने आकर उन्हें बताया है कि वे एक दशक से अधिक समय से पढ़ा रहे हैं लेकिन उनका आईकार्ड कॉलेज / विभाग वाले इसलिए नहीं बनाते हैं कि आपका अपॉइंटमेंट लेटर  तो चार ( four Manth ) महीने के लिए है ,आईकार्ड बन नहीं सकता। कुछ शिक्षकों ने उन्हें यह भी बताया है कि कॉलेज का आईकार्ड ना होने से पब्लिक में हमारी ईमेज खराब होती है, कहते हैं असिस्टेंट प्रोफेसर होते हुए आईकार्ड नहीं है ? जबकि सरकारी और गैर सरकारी कार्यालयों/संस्थानों में कंट्रक्चुल, एडहॉक, गेस्ट फैकल्टी का भी आईकार्ड बनता है तो डीयू कॉलेजों के एडहॉक शिक्षकों का क्यों नहीं ?

                उन्होंने आगे बताया है कि वर्ष --2015 -- 2017 , 2017--19  , 2019--21 व 2021 --23 के डूटा चुनाव में अधिकांश एडहॉक टीचर्स विशेषकर महिला शिक्षक आईकार्ड के ना होने की वजह से डूटा चुनाव में अपने मत का प्रयोग नहीं कर सकी क्योंकि चुनाव के समय उनके पास आईकार्ड नहीं होने से वोट नहीं दे सकी, कॉलेज आईकार्ड ना होने से समाज में टीचर्स के रूप में पहचान नहीं बन पाती है। डॉ.  सुमन ने जोर देते हुए कहा है कि लंबे समय से एडहॉक टीचर्स की इस यूनिवर्सिटी में पहचान बने इसलिए उन्हें सभी कॉलेज / विभाग/ संस्थान तुरंत आईकार्ड बनाकर दे यह इसलिए भी आवश्यक है कि 27 सितम्बर 2023 को डूटा का चुनाव होना है वे बिना किसी परेशानी के अपने मत का प्रयोग कर सके जो उनका शिक्षक होने के नाते लोकतांत्रिक अधिकार है।