शनि देव|| पाप करने वालों को दंड देते हैं तो अच्छे कर्म करने वालों को सुख-सुविधाएं भी

पंकज पाराशर 
भगवान सूर्य पुत्र शनि पाप करने वालों को दंड देते हैं तो अच्छे कर्म करने वालों को प्रत्येक प्रकार की सुख-सुविधाएं प्रदान करते हैं। जिस व्यक्ति पर शनिदेव की कृपा हो जाती है वह शनिदेव के कुप्रभावों से बच जाता है। उदयपुर के हाथीपोल में शनि देव अपनी अद्भुत प्रतिमा के लिए प्रसिद्ध हैं।इस मंदिर में शनि अपने पिता सूर्यदेव को निगलने की मुद्रा में हैं। यहां पर लाखो लोग शनि की पूजा करने आते हैं। 
यह मंदिर लगभग 100 वर्ष पुराना है। तत्कालीन महाराणा फतेहसिंह ने इस मंदिर के लिए जमीन उपलब्ध करवाई थी। कहा जाता है कि शनिदेव की दृष्टि किसी पर नहीं पड़नी चाहिए। इस बात का ध्यान रखते हुए यहां स्थापित प्रतिमा में शनिदेव की दोनों आंखें साईड में हैं। शनिदेव हाथी पर विराजमान नरसिंह स्वरूप धारण किए हैं। इस प्रतिमा की विशेष बात यह कि इसमें शनिदेव भगवान सूर्यदेव को निगलते हुए दिखाई दे रहे हैं।

कहा जाता है कि शनिदेव की दृष्टि से आज तक देवता भी नहीं बच पाएं। एक बार जब शनिदेव की साढ़ेसाती सूर्यदेव पर हुई तो उन्होंने अपने पिता को भी नहीं बख्शा व उन्हें भी निगलने का प्रयास किया। अन्य देवता द्वारा विनती करने पर शनिदेव ने सूर्यदेव को छोड़ा। शनिदेव की दृष्टि सदैव कोप वाली नहीं होती परंतु फिर मंदिर में उनकी प्रतिमा को आकाश की ओर देखते हुए बनाया गया है ताकि किसी पर शनिदेव की दृष्टि न पड़े। देश के अन्य मंदिरों में शनिदेव की प्रतिमा काले रंग की होती है, लेकिन यहां प्रतिमा पर चांदी का श्रृंगार कराया जाता है। इस प्रतिमा पर तेल सीधे नहीं चढ़ाया जाता। मंदिर में शनिदेव की एक अष्टधातु की प्रतिमा है जहां पर भक्त तेल अर्पित करते हैं। 

इस मंदिर में ब्राह्मण समाज के भ्रगुवंशी कुल के पुजारी पूजा-अर्चना करते हैं। कहा जाता है कि यहां आने वाले भक्तों को शनिदेव कभी निराश नहीं लौटाते। मंदिर से संबंधित मान्यता है कि शनिदेव के सामने भक्त अपने किसी भी प्रकार का कष्ट बताता है उसका निवारण हो जाता है। यहां पर सैकड़ों भक्त शनिदेव के दर्शन करने आते हैं। भक्त शनिदेव को प्रसन्न कर अपनी मनोकामनाएं पूर्ण कर उनका गुणगान करते हैं।