मुंबई: दिव्यांग लोगों में रोजगार को बढ़ावा देने वाली संस्था नेशनल सेंटर फॉर प्रमोशन ऑफ इंमप्लायमेंट फॉर डिसेबल पीपुल (एनसीपीईडीपी), राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) द्वारा दिव्यांग अधिकार समूह और भारतीय बीमा नियामक विकास प्राधिकरण के सहयोग से दिव्यांग लोगों के लिए बीमा को तर्क संगत और संस्थागत बनाने हेतु राउंडटेबल मीटिंग का आयोजन किया गया। आईआरडीएआई ने शुक्रवार को दिव्यांग लोगों के लिए भविष्य के बीमा पर विचार-विमर्श करने के लिए सभी बीमा कंपनियों को एक मंच पर आमंत्रित किया। भारत को मानक बीमा मॉड्यूल वाले विकसित देशों के बराबर लाने के लिए दिव्यांगों के लिए विशेष बीमा उत्पाद डिजाइन करने के साथ-साथ इस समूह की चिंताओं और शिकायतों को दूर करने के लिए एक तंत्र बनाने पर सभी आमंत्रित लोगों के बीच आम सहमति थी।
एनएचआरसी के सदस्य डॉ डीएम मुले ने कहा कि दिव्यांग लोगों को सामाजिक और वित्तीय सशक्तिकरण प्रदान करने की तत्काल आवश्यकता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि समाज तीव्र गति से आगे बढ़े। वित्त मंत्रालय बीमा (निदेशक) मंदाकिनी बलोधी, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के संयुक्त सचिव राजीव शर्मा और राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के निदेशक डॉ. विपिन कुमार सिंह ने दिव्यांग लोगों की बीमा जरूरतों पर विचार करने का पूर्णतः समर्थन किया।
एनसीपीईडीपी के कार्यकारी निदेशक अरमान अली ने कहा कि आरपीडब्ल्यूडी अधिनियम 2016 के समानता और गैर-भेदभाव के घोषित सिद्धांतों के बावजूद भारत में दिव्यांग लोगों को स्वास्थ्य बीमा में भेदभाव का सामना करना पड़ता है। बीमा कंपनियों द्वारा दिव्यांग लोगों के लिए वर्तमान में सीमित स्वास्थ्य बीमा कवरेज, अनावश्यक टेस्ट की मांग जैसी कई कमियां हैं जिसे हमें साथ में ठीक करना होगा। बीमा के सहायक उत्पादों, सेवाओं को सस्ते दर और व्यापक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए विनियमों में बदलाव की आवश्यकता है।
इस पृष्ठभूमि में एनएचआरसी के संयुक्त सचिव देवेंद्र के. नीम ने हितधारकों को एक साथ लाने की एनसीपीईडीपी की पहल की सराहना करते हुए कहा कि यह अग्रणी प्रयास सरकार, आईआरडीएआई, बीमा कंपनियों और दिव्यांगता क्षेत्र की चुनौतियों को समझने के लिए एक बेहतरीन मंच है। दिव्यांगों की जरूरतों को पूरा करने और आज की चर्चा के उद्देश्यों को प्राप्त करने की जिम्मेदारी हम सब को सामूहिक रूप।से लेनी होगी, तभी बदलाव संभव है।
इस विशेष परामर्श में भाग लेते हुए हितधारकों ने कहा कि इस दिशा में सभी को मिलकर काम करने की जरूरत है। आईआरडीएआई के महाप्रबंधक पंकज तिवारी ने कहा कि हमारे सामने चुनौतियां और उसके समाधान, दोनों विविध हैं। हालांकि भारत विकसित देशों की तुलना में बीमा विकास के प्रारंभिक चरण में है और हम इसमें सुधार सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। आईआरडीएआई बीमा परिदृश्य को बढ़ाने के लिए सामंजस्यपूर्ण ढंग से सहयोग करेगा।
भारत में दिव्यांगता की वकालत करने वाले समूह लंबे समय से दिव्यांग लोगों के लिए व्यापक स्वास्थ्य बीमा कवरेज की मांग कर रहे हैं। दिसंबर 2022 में दिल्ली उच्च न्यायालय के दिशा-निर्देशों के बाद आईआरडीएआई ने 27 फरवरी, 2023 को बीमा कंपनियों को पीडब्लूडी, एचआईवी पॉजिटिव और मानसिक रूप से दिव्यांग व्यक्तियों को वार्षिक स्वास्थ्य कवरेज प्रदान करने का आदेश दिया। आईआरडीएआई ने बीमा कंपनियों को दिव्यांग लोगों की आवश्यक सिफारिशों के अनुरूप समावेशी बीमा उत्पाद तैयार करने का निर्देश दिया।
दिव्यांगता की वकालत करने वाले समूहों ने बताया कि कई बीमा कंपनियां बेंचमार्क दिव्यांगता वाले लोगों के लिए कवरेज सीमित कर रही हैं जो कानूनी ढांचे के विपरीत है। इन बीमा कंपनियों की वेबसाइटों, ऐप्स और दावा प्रक्रियाएं आरपीडब्ल्यूडी अधिनियम द्वारा अनिवार्य पहुंच मानकों का पालन नहीं करती हैं।
एनसीपीईडीपी के कार्यकारी निदेशक अरमान अली ने कहा कि कंपनियां बीमा पॉलिसियों में किए जाने वाले बदलाव जैसे बीमा ख़रीदना, उन्हें बनाए रखना और उन्हें बदलना आदि के ख़र्चों को पर्याप्त रूप से कवर नहीं करती हैं। हाल ही में मैंने दो साल के लंबे संघर्ष के बाद अपनी व्हीलचेयर का बीमा कराया जो शायद भारत में अपने तरह का पहला था। हमारे समाज में जागरूकता की भारी कमी है। भारत में दिव्यांग लोगों के पास अभी भी व्यापक स्वास्थ्य बीमा का अभाव है जो हमारी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में दिव्यांगता के समावेशन में स्पष्ट अंतर को उजागर करता है। दिव्यांग लोगों के स्वास्थ्य संबंधी जोखिम और अतिरिक्त खर्च इस मुद्दे को और चिंतनीय बना देती है।
राउंडटेबल के दो तकनीकी सत्रों में दिव्यांगों को बीमा सुविधाओं का लाभ उठाने में आ रही दिक्कतों की पहचान के साथ बीमा कंपनियों को दिव्यांग जनों को लाभ प्रावधान देने में आ रही परेशानियों के विषय में चर्चा की गई।