नई दिल्ली बदायू: विश्वास की शक्ति का अद्वितीय प्रतीक, कांवर, पुनः अपना चमत्कार दिखा रहा है। उत्तर प्रदेश के बदायू जिले के एक गांव के निवासी रामदास की कहानी जन मानस में चर्चा का विषय बनी हुई है।
मिली जानकारी के अनुसार रामदास,की आस्था उनकी आंखों की बहाने दिलों में उतर चुकी है। उन्होंने अपने मन में अपने ईश्वर, भगवान भोलेनाथ के प्रति एक कठिन संकल्प लिया है। वे चाहते हैं कि भगवान से उनकी एक विशेष मनोकामना पूरी हो, और इसके लिए वे कांवर लेकर जा रहे हैं।
बदायू कछला से जल लेकर आगरा तक की यात्रा, जो कि करीब ४० किलोमीटर है, उनके लिए कठिन होगी। उनके पास आंखों से दिखने की क्षमता नहीं होने के बावजूद, वे धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे है, सड़क के किनारे चलते हुए और राहगीरों की मदद से। उनकी यात्रा आस्था और संकल्प पर आधारित है, जिसने उन्हें उनके लक्ष्य की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित किया है।
रामदास की इस महान कथा से हमें यह सीखने को मिलता है कि विश्वास और संकल्प से कुछ भी संभव है। अगर हमारा मन मजबूत है और हमारी आस्था अडिग है, तो हम किसी भी चुनौती का सामना कर सकते हैं। रामदास के आदर्शों से हमें यह सीखने को मिलता है कि जीवन में किसी भी परिस्थिति में हमें हार नहीं माननी चाहिए, बल्कि हमें अपनी आस्था के साथ आगे बढ़ना चाहिए।
रामदास की इस सोच और संकल्प से भरपूर इस कहानी से हमें यह सीख मिलता है कि इंसान की आत्मा किसी भी स्थिति में अपने मनोबल और आस्था की शक्ति से किसी भी तरह की समस्याओं का समाधान कर सकता है, चाहे वो जिस भी रूप में हो।