उझानी - एक माह तक एक अधिक मास में 18 जुलाई से शुरू हुई रामकथा में रवि जी समदर्शी महाराज ने आज छठवें दिन कहा अयोध्या बुद्धि की भूमि है चित्रकूट चंचल चित्र की भूमि है और लंका अहंकार की भूमि है चंचल मन के कारण इस भूमि में सभी ने अपना रूप बदला है सुपनखा सती मारीच रावण आदि आदि भगवान के सामने कभी कुछ आता नहीं इसलिए सती दें जो राम जी के सामने अपना वेश बदला भगवान शंकर के सामने झूठ बोलकर छुपाना चाहा पर जो छुपा नहीं शंकर जी ने सब जान लिया और सती जी का हृदय से त्याग कर दिया संसय आत्मा विनश्यति
और भोले बाबा 87000 वर्ष की समाधि में चले गए यद्यपि सती ने बहुत पूछने का प्रयास किया लेकिन वे अखंड समाधि में थे जब जगे तब मुख से राम राम बोला शंकर भगवान ने सामने आसन दिया सती को बा मांग का अधिकार अब नहीं रहा और सती का दुख देखकर राम जी की कथा जो दुख को दूर करती है उसे सुनाने लगे उसी समय सती ने आकाश में भी मान जाते देखें और भोले बाबा से पूछा यह कहां जा रहे हैं सारी घटना सुनने के पश्चात सती जी अपने पिता के घर गई जहां उनका अपमान हुआ शंकर भगवान का भाग न देखकर खुद को अग्नि में समर्पित कर दिया तब भगवान शंकर ने क्रोध में आकर सती के पिता दक्ष की गर्दन काट दी और देवताओं के मनाने पर शंकर जी ने बकरे की गर्दन लगाकर यज्ञ को पूर्ण कराया यज्ञ अपूर्ण रहता है, तो ये ना ना यजमान के हित में होता है देश धर्म समाज के हित में इसलिए भोले बाबा ने दक्ष को जीवित कर पुनः यज्ञ पूर्ण कराया भोले बाबा पहले सर्जन हैं जिन्होंने सर्जरी करके दक्ष को जीवित किया इस कथा में सती जी ने मरते वक्त भगवान राम से एक वर्मा गा कि मैं जब भी जन्म लूं तब मुझे भगवान शंकर ही पति रूप में मिले इसी कारण से सती का अगला जन्म पार्वती के रूप में हुआ जो हिमाचल और मैना की पुत्री बनी।
इस कथा में इस कथा में दिवस यजमान के रुप में सत्येंद्र सजग रहे रहे वर्तमान लोकप्रिय विधायक हरीश शाक्य ने आरती करके महाराज जी से आशीर्वाद प्राप्त किया और कथा में ओम प्रकाश चौहान राहुल माहेश्वरी गगन मित्तल विकास चौहान राहुल अग्रवाल आराधना चौहान धीरेंद्र सोलंकी अमर साहू राखी साहू गुड्डी गुप्ता विष्णु गुप्ता लक्ष्मी गुप्ता कुलदीप साहू अरविंद शर्मा साहित्य शर्मा हरिशंकर साहू दीपेश शर्मा दयाशंकर सत्यम ब्रह्मानंद आदि सैकड़ों भक्त उपस्थित रहे समस्त पूजा कार्य आचार्य रंजीत ने विधि विधान से करवाए