माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि लाल रक्त कोशिका रोग एक ऐसी बीमारी है, जो समाज के जनजातीय समुदायों को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करती है। उन्होंने आज मध्य प्रदेश के शहडोल में राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन (एनएससीईएम) का शुभारंभ करते हुए यह बात कही। प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार वर्ष 2047 में भारत के अमृत काल का उत्सव मनाने से पहले इस बीमारी को समाप्त करने के प्रति वचनबद्ध है। इस कार्यक्रम में उद्घाटन अवसर पर केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया, मध्य प्रदेश के राज्यपाल श्री मंगूभाई पटेल, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रविण पवार, केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री प्रो. एस पी सिंह बघेल, केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं इस्पात राज्य मंत्री श्री फग्गन सिंह कुलस्ते, केंद्रीय जनजातीय कार्य राज्य मंत्री श्रीमती रेणुका सिंह सरुता और केंद्रीय जनजातीय कार्य राज्य मंत्री श्री बिश्वेश्वर टूडू भी उपस्थित थे।
प्रधानमंत्री ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि आज शहडोल में एक मील का पत्थर स्थापित हुआ है, क्योंकि राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन की पहल और आयुष्मान भारत कार्ड के वितरण के साथ देश जनजातीय समुदायों के स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने के नजदीक आ गया है। प्रधानमंत्री ने बताया कि वे गुजरात के मुख्यमंत्री बनने से पहले से ही जनजातीय समुदायों के साथ काम कर रहे हैं और इस रोग के मानव शरीर पर पड़ने वाले प्रभाव को समझते हैं।
प्रधानमंत्री ने इस बीमारी को समाप्त करने के लिए सभी को योगदान देने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि चाहे सरकार हो, स्वास्थ्य कार्यकर्ता हो या स्वयं नागरिक हों, हर किसी को प्रयास करना होगा। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया मुक्ति मिशन लाल रुधिर कोशिका रक्तहीनता से निपटने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण अपनाता है क्योंकि इस बीमारी का असर केवल रोगी पर नहीं, बल्कि पूरे परिवार पर पड़ता है। राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया मुक्ति मिशन इस रोग के बारे में जानकारी को बढ़ावा देने के साथ-साथ प्रारंभिक पहचान और इसका उपचार सुनिश्चित करने के लिए जांच व जागरूकता जैसी रणनीतियों को जोड़ती है। इसकी आवश्यकता इसलिए भी है क्योंकि अधिकांश लोगों को यह पता नहीं होता है, वे इस बीमारी से पीड़ित हैं। ऐसी स्थिति में वे अनजाने में लाल रुधिर कोशिका रक्तहीनता रोग को अगली पीढ़ी में स्थानांतरित कर सकते हैं, इसलिए जांच की भूमिका और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है।
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर देश में बीमारियों के प्रभाव को कम करने के लिए सरकार द्वारा किए गए प्रयासों पर उल्लेख किया। उन्होंने प्रमुख लक्ष्यों के बारे बताया चाहे वह कालाजार की संख्या को 2013 में 11,000 से घटाकर आज 1000 से कम करना हो, या मलेरिया के मामलों को 2013 में 10 लाख से घटाकर आज 2 लाख करना हो। श्री मोदी ने बताया कि इसी तरह से कुष्ठ रोग के मामले भी सवा लाख से घटकर 70-75 हजार रह गये हैं। इस दौरान उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि कैसे उनकी सरकार 2025 तक तपेदिक के प्रसार को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है। प्रधानमंत्री ने कहा कि ये सिर्फ संख्याएं नहीं हैं, क्योंकि जब बीमारियों का असर कम होता है, तो लोगों को जो दर्द, संघर्ष, डर और मौत का सामना करना पड़ता है, वह भी कम हो जाता है।
प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया मुक्ति मिशन की शुरुआत करने के साथ ही सिकल सेल एनीमिया मुक्ति मिशन के लिए दिशानिर्देश भी जारी किए। उन्होंने चिकित्सा अधिकारियों, स्टाफ नर्सों, सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों, सहायक नर्स व प्रसव में सहायता देने वाली दाई एवं मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता कार्यकर्ताओं सहित प्राथमिक, माध्यमिक तथा तृतीयक स्तर पर देखभाल के लिए प्रशिक्षण मॉड्यूल भी लॉन्च किया। उन्होंने गैर-स्वास्थ्य कर्मियों, माता-पिता एवं शिक्षकों के लिए लाल रुधिर कोशिका रक्तहीनता रोग के लिए एक जागरूकता मॉड्यूल और साथ ही रोगियों, देखभाल करने वालों तथा गर्भवती महिलाओं के लिए एक परामर्श मॉड्यूल भी जारी किया।