नई दिल्ली कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय और कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग (डीएआरई/आईसीएआर)द्वारा 7-8 जुलाई 2023 को एनएएससी कॉम्प्लेक्स, पूसा में 2-दिवसीय चिंतन शिविर का आयोजन किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में कृषि मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर के साथ-साथ कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री कैलाश चौधरी और सुश्री शोभा करंदलाजे भी उपस्थित रहेंगे। कार्यक्रम का उद्देश्य चिह्नित विषयगत क्षेत्रों अर्थात जलवायु अनुकूल कृषि, कृषि में निजी क्षेत्र का लाभ उठाना, कृषि में डिजिटल प्रौद्योगिकी का उपयोग, कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ाना, कृषि व्यवसाय में आसानी, विस्तार प्रणाली को मजबूत करना और मृदा स्वास्थ्य के लिए एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन पर चर्चा करना है।
यह दो दिवसीय चिंतन शिविर संरचनागत व्यवस्था से ऊपर उठकर नवीन विचारों के मुक्त प्रवाह और किसानों के कल्याण और कृषि को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए लीक से हटकर नवीन विचार देने का एक अनूठा अवसर प्रदान करता है। यह शिविर अपनी तरह का पहला प्रयास है जिसका उद्देश्य मंत्रालय के अधिकारियों और सार्वजनिक तथा निजी, दोनों क्षेत्रों के विशेषज्ञों की भागीदारी के साथ चिह्नित विषयों पर केंद्रित चर्चा करना है। इन विषयों पर कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के संबंधित प्रभाग प्रमुखों, आईसीएआर के एडीजी और डीडीजी और संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञों द्वारा विचार-विमर्श किया जाएगा।
इस शिविर का आयोजन न केवल कृषि क्षेत्र में हुई प्रगति की समीक्षा करने बल्कि भविष्य की आवश्यकताओं की योजना बनाने, निर्यात को अधिकतम करने और आने वाले दिनों में भारतीय कृषि को आधुनिक बनाने के लिए भी किया जा रहा है। किसान हमारा केंद्रीय फोकस है जिसके लिए किसानों को गुणवत्तापूर्ण बीज, महत्वपूर्ण आदानों की आपूर्ति सुनिश्चित करने और भारतीय कृषि को टिकाऊ बनाने के लिए उच्च क्षेत्र कवरेज, बढ़े हुए उत्पादन और उत्पादकता के लिए नवीन प्रौद्योगिकियों को अपनाने की सुविधा सुनिश्चित करने हेतु केंद्र सरकार द्वारा नीतिगत समर्थन प्रदान किया जाएगा।
यह दो दिवसीय कार्यक्रम इन में मदद करेगा i) कृषि को जलवायु के अनुकूल बनाने के लिए रणनीतियाँ विकसित करना ii) एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन से जुड़े मुद्दों और चुनौतियों का समाधान करना, उर्वरक के संतुलित उपयोग को बढ़ावा देना, मृदा की उर्वरता को बढ़ाना, और एक अनुकूल और टिकाऊ कृषि प्रणाली की स्थापना में योगदान देना; iii) वनस्पति संरक्षण के पर्यावरण-अनुकूल दृष्टिकोण में सामंजस्य स्थापित करने के लिए विभिन्न संगठनों और हितधारकों के बीच तालमेल बनाना; iv) स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए उन्नत प्राकृतिक कृषि प्रणालियाँ v) प्रभावशीलता और अधिकाधिक पहुंच बढ़ाने के लिए विस्तार सेवाओं को मजबूत करना और विस्तार प्रणाली के डिजिटलीकरण पर ध्यान केंद्रित करना vi) निर्यात को बढ़ावा देने और निर्यात-उन्मुख आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत करने के लिए राज्य-स्तरीय कार्यनीति तैयार करना vii) उत्पादक भागीदारी के माध्यम से क्षेत्र के हर संभव हस्तक्षेप में संभावित प्राइवेट प्लेयर्स का लाभ उठाकर फोकस को 'उत्पादन केंद्रित दृष्टिकोण' से "विपणन केंद्रित दृष्टिकोण" में परिवर्तित करना।
आशा है कि इस दो दिवसीय चिंतन शिविर में होने वाले विचार-विमर्श में भारतीय कृषि को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए कार्यनीति तैयार करने का मार्ग प्रशस्त होगा।