सावन का पवित्र मास, इंद्रदेव का आशीर्वाद, शिवावतार गुरु गोरखनाथ की तपोस्थली, और अनेकानेक संतों की कर्मस्थली ये गीताप्रेस गोरखपुर! जब संतों का आशीर्वाद फलीभूत होता है, तब इस तरह के सुखद अवसर का लाभ मिलता है। इस बार का मेरा गोरखपुर का दौरा, ‘विकास भी, विरासत भी’ इस नीति का एक अद्भुत उदाहरण है। मुझे अभी चित्रमय शिव पुराण और नेपाली भाषा में शिव पुराण के विमोचन का सौभाग्य मिला है। गीता प्रेस के इस कार्यक्रम के बाद मैं गोरखपुर रेलवे स्टेशन जाऊंगा। आज से ही गोरखपुर रेलवे स्टेशन के आधुनिकीकरण का काम भी शुरू होने जा रहा है। और मैंने जब से सोशल मीडिया पर इसकी तस्वीरें डाली हैं, लोग हैरान होकर के देख रहे हैं। लोगों ने कभी सोचा ही नहीं था कि रेलवे स्टेशनों का भी इस तरह कायाकल्प हो सकता है। और उसी कार्यक्रम में, मैं गोरखपुर से लखनऊ के लिए वन्दे भारत ट्रेन को हरी झंडी दिखाऊंगा। और उसी समय जोधपुर से अहमदाबाद के बीच चलने वाली वंदे भारत एक्सप्रेस को भी रवाना किया जाएगा। वंदे भारत ट्रेन ने, देश के मध्यम वर्ग को सुविधाओं और सहूलियतों के लिए एक नई उड़ान दी है। एक समय था जब नेता लोग चिट्ठियां लिखा करते थे कि हमारे क्षेत्र में इस ट्रेन का एक जरा हॉल्ट बना ले, उस ट्रेन का हॉल्ट बना ले। आज देश के कोने-कोने से नेता मुझे चिट्ठियां लिखकर कहते हैं कि हमारे क्षेत्र से भी वंदे भारत चलाइए। ये वंदे भारत का एक क्रेज है। इन सारे आयोजनों के लिए मैं गोरखपुर के लोगों को, देश के लोगों को बहुत-बहुत बधाई देता हूँ।
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में गीता प्रेस के शताब्दी समारोह के समापन
उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल, मुख्यमंत्री श्रीमान योगी आदित्यनाथ जी, गीताप्रेस के श्री केशोराम अग्रवाल जी, श्री विष्णु प्रसाद जी, सांसद भाई रवि किशन जी, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों!