नई दिल्ली केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज कहा कि मौजूदा बिजली परियोजनाओं के पूरा होने के बाद जम्मू और कश्मीर का किश्तवाड़ उत्तर भारत का प्रमुख "पावर हब" बन जाएगा, जो लगभग 6,000 मेगावाट बिजली पैदा करेगा।
डॉ. जितेंद्र सिंह को नागसेनी और दच्छन में दो सार्वजनिक रैलियों को संबोधित करना था लेकिन उन्होंने ओडिशा में दुखद ट्रेन दुर्घटना के पीड़ितों के सम्मान में दोनों रैलियों को रद्द कर दिया और इसके बजाय किश्तवाड़ और डोडा जिलों में विभिन्न जलविद्युत परियोजनाओं की प्रगति की समीक्षा के लिए एक विस्तृत बैठक बुलाई। एनएचपीसी के अध्यक्ष श्री राजीव विश्नोई, किश्तवाड़ के उपायुक्त देवांश यादव और केंद्र और केंद्रशासित प्रदेश सरकारों के अधिकारियों ने परियोजनाओं की प्रगति के बारे में डॉ. जितेंद्र सिंह को जानकारी दी।
बाद में, डॉ. जितेंद्र सिंह ने दच्छन के दूर-दराज के पहाड़ी क्षेत्र का भी दौरा किया
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मंत्री श्री सुनील शर्मा, डीडीसी सदस्य, स्थानीय पीआरआई प्रतिनिधि और प्रमुख राजनीतिक नेता, भाजपा अध्यक्ष श्री चुन्नी लाल, वरिष्ठ नेता तारिक कीन, प्रदीप परिहार, कैप हुकुम चंद के साथ-साथ क्षेत्र के कई राजनीतिक लोग इस यात्रा के दौरान उनके साथ थे।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, किश्तवाड़ से अतिरिक्त बिजली का उपयोग न केवल यूटी के अन्य हिस्सों के लिए किया जाएगा, बल्कि अन्य राज्यों द्वारा भी इसका लाभ उठाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि चिनाब के समृद्ध प्राकृतिक संसाधनों का पिछली सरकारों, जिन्होंने 60-65 वर्षों तक जम्मू-कश्मीर पर शासन किया, ने उचित उपयोग नहीं किया।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, यह किश्तवाड़ क्षेत्र को उत्तर भारत का एक प्रमुख पावर हब बनाता है। उन्होंने इन परियोजनाओं के लिए अकुशल नौकरियों में स्थानीय लोगों के लिए 100 प्रतिशत आरक्षण का भी आश्वासन दिया और कुशल जनशक्ति आवश्यकताओं में स्थानीय प्रतिभाओं को वरीयता देने का वादा किया।
उल्लेखनीय है कि पाकल दुल परियोजना 1000 मेगावाट क्षमता वाली सबसे बड़ी परियोजना है। इसकी अभी तक अनुमानित लागत 8,112.12 करोड़ रुपए है और इसके पूरे होने की अपेक्षित समय-सीमा 2025 है। एक अन्य प्रमुख परियोजना 624 मेगावाट की क्षमता वाली किरू जलविद्युत परियोजना है। परियोजना की अनुमानित लागत रु. 4,285.59 करोड़ है और इसकी समय सीमा भी 2025 है।