नई दिल्ली सभी को हरि ओम, जय उमिया माँ, जय लक्ष्मीनारायण!
यह मेरे कच्छी पटेल कच्छ का ही नहीं लेकिन अब पूरे भारत का गौरव है। क्योंकि मैं भारत के किसी कोने में जाता हूं तो वहां मेरे इस समाज के लोग मिलते हैं। इसलिए कहा जाता है, कच्छड़ो खेलते हैं खलक में जो महासागर में मच्छ, जे ते हद्दो कच्छी वसे उत्ते रियाडी कच्छ।
कार्यक्रम में उपस्थित शारदापीठ के जगद्गुरु पूज्य शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती जी, गुजरात के मुख्यमंत्री श्रीमान भूपेंद्र भाई पटेल, केंद्र में मंत्रिपरिषद में मेरे साथी पुरुषोत्तम भाई रूपाला, अखिल भारतीय कच्छ कड़वा पाटीदार समाज के अध्यक्ष श्री अबजी विश्राम भाई कानाणी, अन्य सभी शेयरगण, और देश-विदेश से जुड़े मेरे सभी भाई-बहन!
आप सभी को सनातनी शताब्दी समारोह की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ। आज मेरे लिए सोने पर सुहागा है, मेरे लिए ये पहला अवसर है, जब मुझे जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती जी की उपस्थिति में उनके शंकराचार्य पद पर बने रहने के बाद किसी कार्यक्रम में आने का अवसर मिला है। उनका स्नेह हमेशा मुझ पर रहा है, हम सब पर रहे हैं तो आज मुझे उन्हें प्रणाम करने का अवसर मिला है।