नई दिल्ली भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने आज (7 अप्रैल, 2023) काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में गज उत्सव-2023 का उद्घाटन किया।
इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि प्रकृति और मानवता के बीच एक बहुत ही पवित्र रिश्ता है। प्रकृति का सम्मान करने की संस्कृति हमारे देश की पहचान रही है। भारत में प्रकृति और संस्कृति एक दूसरे से जुड़ी हुई हैं और एक दूसरे से पोषण प्राप्त करती रही हैं। हमारी परंपरा में हाथियों को सबसे अधिक सम्मान दिया गया है। इसे समृद्धि का प्रतीक माना गया है। यह भारत का राष्ट्रीय धरोहर पशु है। इसलिए, हाथियों की रक्षा हमारी राष्ट्रीय विरासत को संरक्षित करने की हमारी राष्ट्रीय जिम्मेदारी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
राष्ट्रपति ने कहा कि जो कार्य प्रकृति, पशु-पक्षियों के हित में हैं, वही मानवता और धरती माता के हित में भी हैं। हाथी अभ्यारण्य के जंगल और हरित क्षेत्र बहुत प्रभावी कार्बन सिंक हैं। इसलिए यह कहा जा सकता है कि हाथियों के संरक्षण से हम सभी को लाभ होगा और इससे जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना करने में भी मदद मिलेगी। ऐसे प्रयासों में सरकार के साथ-साथ समाज की भागीदारी आवश्यक है।
राष्ट्रपति ने कहा कि हाथियों को बहुत बुद्धिमान और संवेदनशील जानवर माना जाता है। ये भी इंसानों की तरह सामाजिक प्राणी हैं। उन्होंने कहा कि हमें हाथियों और अन्य जीवों के प्रति वैसी ही सहानुभूति और सम्मान की भावना रखनी चाहिए जैसी मनुष्य के लिए होती है। उन्होंने कहा कि हम पशु-पक्षियों से निःस्वार्थ प्रेम की भावना सीख सकते हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि 'मानव-हाथी संघर्ष' सदियों से एक मुद्दा रहा है। और जब हम इस संघर्ष का विश्लेषण करते हैं तो पता चलता है कि प्राकृतिक आवास या हाथियों के आने-जाने में जो बाधा उत्पन्न होती है, वह इसका मूल कारण है। इसलिए इस संघर्ष की जिम्मेदारी मानव समाज की है। उन्होंने कहा कि हाथियों की रक्षा करना, उनके प्राकृतिक आवासों का संरक्षण करना और हाथियों के गलियारों को बाधा से मुक्त रखना प्रोजेक्ट एलिफेंट का मुख्य उद्देश्य है। मानव-हाथी संघर्ष से संबंधित समस्याओं का समाधान भी इस परियोजना का उद्देश्य है। उन्होंने कहा कि ये सभी उद्देश्य एक दूसरे से जुड़े हुए हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि असम के काजीरंगा और मानस राष्ट्रीय उद्यान न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व की अमूल्य धरोहर हैं। इसीलिए इन्हें यूनेस्को द्वारा 'विश्व विरासत स्थल' का दर्जा दिया गया है। उन्होंने कहा कि असम में देश में जंगली हाथियों की दूसरी सबसे बड़ी आबादी है। इसलिए काजीरंगा गज-उत्सव के आयोजन के लिए बहुत उपयुक्त स्थान है। उन्होंने जोर देकर कहा कि प्रोजेक्ट हाथी और गज-उत्सव की सफलता के लिए सभी हितधारकों को मिलकर आगे बढ़ना होगा।