रामजी पांडेय
नई दिल्ली राष्ट्रीय पहल “समाज में भारत के वैज्ञानिक रूप से मान्य पारंपरिक ज्ञान का संचार (स्वास्तिक)” के भाग के रूप में, सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर ने 13 जनवरी, 2023 को सुबह 11 बजे भारतीय वास्तुकला विरासत उप-समिति की पहली बैठक की मेजबानी की। इसमें उप-समिति के सदस्यों के साथ-साथ सीएसआईआर- एनआईएससीपीआर की टीम भी उपस्थित थी। समिति के सदस्यों ने पिछले एक वर्ष में स्वास्तिकके प्रगति की सराहना की। बैठक में प्रतिभागियों ने आवास, जल वितरण प्रणालियों और शहरी बस्तियों से संबंधित प्राचीन प्रथाओं का प्रसार करने वाले उपायों का प्रस्ताव रखा। इसमें आर्किटेक्चर के वैज्ञानिक सत्यापन के मानदंडों पर भी चर्चा की गई। पैनलिस्टों ने भारत के वास्तुशिल्प इतिहास के बारे में विचार-विमर्श वाली एक श्रृंखला की मेजबानी करने का भी सुझाव दिया। यह भी कहा गया कि इंडियन जर्नल ऑफ ट्रेडिशनल नॉलेज वास्तुशिल्प विरासत पर एक विशेष अंक प्रकाशित करने पर विचार कर सकता है। समिति ने सिफारिश की कि स्वास्तिक की कहानियों को शिक्षकों के साथ साझा किया जाना चाहिए और कक्षा में पारंपरिक ज्ञान का प्रसार करने के लिए उपयोग करना चाहिए।इसके अतिरिक्त, पारंपरिक ज्ञान पर काम करने वाले संस्थानों से संपर्क करने और स्वास्तिककहानियों को इकट्ठा करने के लिए उनकी थीसिस और शोध प्रबंधों तक पहुंचने का सुझाव दिया गया। समिति के सदस्यों को स्वास्तिक कहानियों के लिए इनपुट प्रदान करने का काम सौंपा गया था।