नई दिल्लीश्री जफरुद्दीन की सफलता की कहानी उन्हीं की जुबानी...पहले मैं हाथ से मैला ढोने का काम करता था लेकिन अपने परिवार की आजीविका के लिए पर्याप्त कमाई नहीं कर पाता था। मैं इस अमानवीय कार्य को छोड़ कोई अन्य काम करना चाहता था। उसी दौरान मुझे नैशनल सफ़ाई कर्मचारी फाइनेंस एंड डेवलपमेंट कारपोरेशन कि मैला ढोने वाले स्वच्छकारों के पुनर्वास के लिए स्वरोज़गार योजना के बारे में पता चला।मैंने रेंट के लिए आवेदन किया और मध्यप्रदेश राज्य सहकारी अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम द्वारा निर्माण सामग्री का कार्य शुरू करने के लिए मेरा एक लाख रुपया का ऋण स्वीकृत हो गया।ऋण मिलने के बाद से मेरी आर्थिक स्थिति अच्छी हो गई है और अब मैं नियमित रूप से ऋण की किस्त भी चुका रहा हूँ।इस योजना को शुरू करने के लिए मैं सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय का हृदय सेशुक्रगुज़ार हूँ, जिसके कारण मैं और मेरे जैसे जाने कितने लोग एक ख़ुशहाल और समाने जीवन की और अग्रसर हो रहे हैं।