करुणेश त्रिवेदी
लखीमपुर खीरी।गोला रेंज के जमुनाबाद फॉर्म में कल सुबह वहां के चौकीदार पर बाघ ने हमला बोल दिया। बाघ के हमले में चौकीदार की मौके पर ही मौत हो गई। काफी देर से बाघ शव के पास ही बैठा हुआ था। वन विभाग पटाखे दागकर बाघ को भगाने की कोशिश में जद्दोजहद में जुटे रहे थे। चौकीदार की जलती हुई टार्च और अंडरवियर बरामद हुई थी मौके से बरामद हुई थी।
थाना हैदराबाद के गांव नारायनपुर निवासी यदुनाथ उर्फ मुनीम (33) दिहाड़ी मजदूरी पर चौकीदार के पद पर कार्यरत था। वह अपने भाई प्रखंड तीन के इंचार्ज शिवकुमार के पास चार वर्ष निरंतर कार्य कर रहा था। बताया जाता है कि रात में यदुनाथ अपने साथी सुनेश्वर के साथ झोपड़ी में लेटा था। सुनेश्वर ने सुबह जब यदुनाथ को बिस्तर पर नहीं देखा तो उसकी खोजबीन शुरू की।
तलाश के दौरान झाड़ियों में मृतक की अंडरवियर पड़ी थी। तब उसे अनहोनी की आशंका हुई। काफी देर तक जब यदुनाथ वापस नहीं लौटा था भाई शिवकुमार व अन्य साथियों ने तलाश की। घटना की जानकारी मिलते ही क्षेत्र से सैकड़ों लोग मौके पर पहुंच गए थे। सूचना पर वन दरोगा जयराम भारती व गोला कोतवाल धर्म प्रकाश शुक्ला माैके पर पहुंचे थे।
वनाधिकारियों के मुताबिक, झाड़ियों में बैठे बाघ ने उसे दबोच लिया। वह अभी भी झाड़ियों में ही बैठा है था। बाघ को भगाने के लिए पटाखे दागे जा रहे थे और ग्रामीण हांका भी लगा रहे थे। काफी जद्दोजहद के साथ यदु राम का शव झाड़ियों में पाया गया उसके बाद पंचनामा भर शव को पीएम होने के लिए भेज दिया गया। घटना के बाद पूरे क्षेत्र में डर का माहौल बना हुआ है। आलम यह है कि न तो वन विभाग के अधिकारी और न ही पुलिस शव के पास पहुंचने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही थी। डीएफओ संजय विस्वल का कहना है कि गोला क्षेत्र में तीन से चार बाघ घूम रहे हैं। उन्होंने लोगों से सतर्क रहने की अपील की है।
जंगल पिछले कुछ वर्षों से इंसानों के लिए डेंजर जोन बनता जा रहा है। यहां पिछले एक वर्ष के दौरान हिंसक बाघ दर्जनों बेसहारा पशुओं के साथ साथ दर्जन से अधिक इंसानी जिंगिदयों को अपना निवाला बना चुके हैं। तराई इलाके में आए दिन हिंसक बाघों के द्वारा हो रही घटनाओं से ग्रामीण अब खौफ भरी जिंदगी जीने को मजबूर हो गए हैं।
बाघों से दहशत में हैं ग्रामीण
इंसानी खून पीकर हिंसक हुए बाघों के डर से ग्रामीण अब खेतों पर काम करने से डरने लगे हैं। तराई इलाके में आए दिन हो रही बाघ के हमले की घटनाओं के बावजूद भी वन महकमा सुरक्षा इंतजाम के कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है। हां इतना जरूर है कि जब भी बाघ के द्वारा कोई इंसानी खून की घटनाएं होती है तो ग्रामीणों के आक्रोश को शांत करने के लिए वन कर्मी एक-दो दिन बाघ की लोकेशन लेने के लिए खूब तामझाम दिखाते हैं फिर वही वन कर्मी हाथ पर हाथ धरकर बैठ जाते हैं। जिसके चलते जंगल में छुपे बाघ दिन पर दिन हिंसक होते जा रहे हैं। और मझरा पूरब का तराई इलाका डेंजर जोन बनता जा रहा है। यहां एक वर्ष के अंदर बाघ के द्वारा इंसानी खून की बात करें तो मझरा निवासी ओमप्रकाश यादव को जंगल किनारे मवेशी चराते समय बाघ ने हमला कर उसे मौत के घाट उतार दिया था। मृतक यदुनाथ अपने चार भाइयों विश्राम, सागर, शिवकुमार और श्रवण कुमार में दूसरे नंबर पर था। मृतक अपने पीछे पत्नी और तीन बच्चे छोड़ गया है, जिनका रो-रोकर बुरा हाल था।
बाघ के हमले प्रमुख घटनाएं
1- गोला वन रेंज की पश्चिमी बीट में 13 अगस्त को शौच के लिए गए पुनर्भुग्रंट निवासी 32 वर्षीय मूकबधिर युवक मुशर्रफ को बाघ ने अपना निवाला बना लिया था।
2- 24 अगस्त को राजकीय बीज संवर्धन क्षेत्र जमुना बाद फार्म के प्रखंड संख्या 6 में चौकीदार ग्राम बक्खारी निवासी हरीराम का शव क्षत-विक्षत अवस्था में संदिग्ध परिस्थितियों में झाड़ियों में पड़ा मिला था। हालांकि वन विभाग के अधिकारियों ने इसे वन्य जीव की घटना ना मानकर संदिग्ध करार दिया था।
बाघ के हमले में मारे गए यदुनाथ उर्फ मुनीम के परिजनों ने ग्रामीणों के साथ रजागंज करनपुर का चक्का जाम कर दिया और वन विभाग के खिलाफ जमकर नारेबाजी की अनन फनन में उपजिला अधिकारी श्रद्धा सिंह व क्षेत्राधिकारी गोला मौके पर पहुंचे परिजनों को समझा बुझा कर जाम को खुलवाया तथा हर संभव मदद करने की बात कही परिजनों ने प्रशासन की बात मानी तथा हाईवे को सुचारू रूप से संचालित कर दिया गया शव को लेकर परिजनों ने अंतिम संस्कार कर दिया।
घटनास्थल की दूरी जंगल से करीब सात किलोमीटर है। हमला बाघ ने किया है। वन कर्मियों की अलग-अलग टीम लगाकर कांबिंग शुरू कर दी थी। बाघ की लोकेशन और पहचान स्पष्ट करने के लिए कैमरे लगाए जा रहे हैं। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने पर मृतक के परिजन को मुआवजा और विभागीय मदद दी जाएगी।
संजीव कुमार तिवारी, रेंजर गोला वनरेंज