नोएडा : सेक्टर-30 स्थित चाइल्ड पीजीआई में एक संविदा पर रखे गये एक स्टाफ नर्स की सेवा समाप्त करने के विरोध में नर्सिंग स्टाफ ने जम कर हंगामा किया और काम बंद कर निदेशक के कक्ष का घेराव कर नारेबाजी कर रहे है. जिसके कारण इलाज करवाने के लिए आने वाले मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
सेक्टर-30 में स्थित चाइल्ड पीजीआई में निदेशक के कक्ष का घेराव कर नारेबाजी कर रहे है. ये स्वास्थ्यकर्मी चाइल्ड पीजीआई के नर्सिंग स्टाफ है. ये लोग संविदा पर काम कर कर रहे स्टाफ नर्स सुरेंद्र बोरा को नौकरी से निकालने का विरोध कर रहे है। इनका कहना है की पत्नी के बीमार होने पर सुरेंद्र 4 दिन की छुट्टी लेकर घर गए थे। इसकी जानकारी सुरेंद्र ने वार्ड नर्सिंग इंचार्ज और चीफ नर्सिंग ऑफिसर को मेल कर के दिया था। और वे 16 सितंबर को सुबह की ड्यूटी करके अपने घर राजस्थान गए थे। इसके बाद 21 सितंबर को सुरेंद्र ने आकर नाइट ड्यूटी की। 22 सितंबर को सुबह उन्हें निष्कासित करने का नोटिस जारी कर दिया गया। सुरेंद्र ने बताया कि संस्थान के निदेशक ने उन्हें बुलाकर डांट लगाई। उनकी कोई बात नहीं सुनी। बिना जांच कमेटी के निष्कासित करने का निर्देश जारी कर दिया।
बिना जांच कमेटी के सुरेंद्र बोरा को नौकरी से निकालने से चाइल्ड पीजीआई के स्टाफ में भारी गुस्सा देखने को मिल रहा है. उनका कहना है कि सेक्टर-30 चाइल्ड पीजीआई में सुरेंद्र बोरा स्टाफ नर्स के रुप में पिछले 4 साल से काम कर रहे हैं। उन्होंने कोविड के दौरान सेक्टर-39 में बने कोविड अस्पताल में काम किया है। चाइल्ड पीजीआई में भी लगातार मरीजों की सेवा की है। पत्नी की हालत ज्यादा बिगड़ गई थी, इसलिए छुट्टी लेकर मजबूरी में घर जाना पड़ा। इसका नतीजा यह हुआ कि उनको नौकरी से निकाल दिया गया।
नर्सिंग यूनियन और एसएसपीएच पीजीटीआई कर्मचारी संघ, गौतमबुद्ध नगर की ओर से गुरुवार को एक मीटिंग हुई। मीटिंग में तय हुआ कि स्टाफ नर्स के निकाले जाने के विरोध में अन्य कर्मचारी काला फीता बांधकर काम करेंगे और अपना विरोध दर्ज कराएंगे, इसलिये आज चाइल्ड पीजीआई के नर्सिंग स्टाफ ने निदेशक के कक्ष का घेराव कर नारेबाजी कर रहे है लेकिन विरोध प्रदर्शन के कारण इलाज करवाने के लिए आने वाले मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।