रामजी पांडे
नई दिल्ली केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने ट्रोइका के सह-अध्यक्ष के रूप में जी-20 शिक्षा मंत्रियों की बैठक में आरंभिक भाषण दिया और ‘रिकवरी, पुनर्कल्पना एवं मजबूत पुनर्निर्माण’ विषय पर विभिन्न ठोस उपायों को सामने रखा।
उन्होंने एक ऐसी नई दुनिया बनाने के लिए आपसी अनुभवों को साझा करने और आपस में मिलकर काम करने के विशेष महत्व के बारे में बताया जिसमें शिक्षा अब भी आम चुनौतियों से निपटने के लिए नोडल बिंदु बनी हुई है।
उन्होंने यह भी कहा कि पहुंच, समानता, गुणवत्ता, किफायती और जवाबदेही के मूलभूत सिद्धांतों पर आधारित राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 आजीवन सीखने के अवसरों को बढ़ावा देने और जी20 के साझा विजन को साकार करने के लिए भारत का मार्गदर्शक है।
श्री प्रधान ने और भी अधिक सुदृढ़ एवं समावेशी शिक्षा और कौशल प्रशिक्षण परिवेश बनाने की दिशा में भारत की तीव्र प्रगति और एनईपी 2020 के कार्यान्वयन के माध्यम से प्रत्येक शिक्षार्थी की रचनात्मक क्षमता को साकार करने पर प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा कि भारत प्रारंभिक बचपन की देखभाल एवं शिक्षा को औपचारिक रूप देने, दिव्यांग बच्चों की आवश्यक सहायता करने, डिजिटल एवं मल्टी-मोडल शिक्षण को बढ़ावा देने, पाठ्यक्रमों में प्रवेश करने व उनसे निकलने की लचीली व्यवस्था, और शिक्षा को कौशल के साथ एकीकृत करने पर विशेष जोर दे रहा है, जो शिक्षण परिणामों को बेहतर करने की कुंजी हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि भारत ने वर्चुअल स्कूलों का संचालन शुरू कर दिया है और इसके साथ ही भारत शिक्षा के दायरे का विस्तार करने और शिक्षा को यथोचित एवं सुलभ बनाने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए डिजिटल विश्वविद्यालय के साथ-साथ कई भारतीय भाषाओं में शिक्षा के लिए 260 से भी अधिक विशेष टीवी चैनलों की स्थापना करने की प्रक्रिया में है।
श्री प्रधान ने कहा कि एनईपी 2020 ने भारत में शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण का मार्ग प्रशस्त कर दिया है और भारत अहमदाबाद स्थित गिफ्ट सिटी में अपने कैम्पस की स्थापना के लिए विदेशी विश्वविद्यालयों का स्वागत कर रहा है। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही हम विदेशी विश्वविद्यालयों को पूरे भारत में अपना कैम्पस स्थापित करने की अनुमति देने के लिए नीतिगत उपाय करने की प्रक्रिया में हैं।
श्री प्रधान ने एक ऐसी शिक्षा प्रणाली स्थापित करने के लिए जी20 के सदस्य देशों के साथ मिलकर काम करने की भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया जिसके तहत शिक्षण परिणाम दरअसल 21वीं सदी के कौशल के अनुरूप होंगे। उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षा को वैश्विक विकास में तेजी लाने में मददगार बनाने के लिए हमारे ‘जी20 ईडीडब्ल्यूजी’ की पूरी क्षमता का उपयोग करने के लिए सभी प्रयास किए जाने चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि जी20 शिक्षा समूह ने एक एजेंडा तय किया है जो वैश्विक संस्थागत फ्रेमवर्क में उत्पन्न हुई चुनौतियों का समाधान करने के साथ-साथ अभूतपूर्व बदलाव सुनिश्चित करता है। उन्होंने कहा कि भारत शिक्षा प्रणालियों को मजबूत करने के लिए जी20 के साथ मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि आपस में मिलकर बड़ी मजबूती के साथ पुनर्निर्माण और रिकवरी सुनिश्चित की जा सके।
जी20 शिक्षा मंत्रियों की बैठक से इतर श्री प्रधान ने माननीय डॉ. मोहम्मद मलिकी बिन उस्मान, प्रधानमंत्री कार्यालय में मंत्री, द्वितीय शिक्षा और विदेश मंत्री, सिंगापुर; माननीय डॉ. अहमद बेलहौल अल फलासी, शिक्षा मंत्री और उद्यमिता एवं एसएमई राज्य मंत्री, संयुक्त अरब अमीरात; और डॉ. हमद एम.एच. अल शेख, सऊदी अरब में शिक्षा मंत्री के साथ द्विपक्षीय बैठकें कीं। द्विपक्षीय बैठकों में चर्चाएं शिक्षा और कौशल विकास में जुड़ाव को और मजबूत करने पर केंद्रित रहीं।