रामजी पांडे
नई दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन 28 और 29 जुलाई को नई दिल्ली में अपने पहले "श्रम प्रवासन पर परामर्श: भारत में लचीली, समावेशी और टिकाऊ नीतियों और संस्थानों को आगे बढ़ाना, सभी के लिए अच्छे काम को बढ़ावा देना" वार्ता की मेजबानी कर रहा है। लाखों की संख्या में श्रमिक बेहतर आर्थिक अवसरों की तलाश में आंतरिक और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर माइग्रेट करते हैं और प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करने के लिए ये उनकी एडेप्ट करने की रणनीति होती है, और ये बात किसी भी देश के लिए श्रम प्रवासन को एक प्रमुख नीतिगत प्राथमिकता बना देता है।
केंद्रीय श्रम, रोजगार, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेंद्र यादव ने आज इस उद्घाटन सत्र में परामर्श वार्ता को संबोधित किया।
इस अवसर पर उन्होंने कहा कि प्रवासन और गतिशीलता दरअसल व्यापक वैश्विक आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक और तकनीकी बदलावों से जुड़े हुए हैं। काम का डिजिटलीकरण कोविड-19 की परेशानी के दौरान उभरा, और अब इस चीज में तब्दीली हो चुकी है कि हम काम कैसे करते हैं। सरकार द्वारा श्रम सुधारों के लिए एक प्रगतिशील ढांचा अपनाया गया है। ये एक सुरक्षित और स्वस्थ कामकाजी माहौल, सभी के लिए सभ्य काम और प्रत्येक कामगार के लिए सामाजिक सुरक्षा के संबंध में जिनेवा में आईएलओ सम्मेलन में हुए चर्चा के अनुरूप है।