रामजी पांडेय
नई दिल्ली :डॉक्यूमेंट्री (वृत्तचित्र) 'मून ऑन द मैन' के निदेशक प्रिंस शाह ने कहा कि हम अपने किरदारों के संबंध में लोगों को सहानुभूति देने के बजाय अपने विषयों का उत्सव मनाना चाहते हैं और उन्हें रॉक स्टार बनाना चाहते हैं। उन्होंने आगे कहा, “हम दर्शकों को किरदारों की खामियों को नहीं दिखाने को लेकर सतर्क थे। इस डॉक्यूमेंट्री के दो पात्र हमारे जीवन में आए। हमने दूसरा तरीका न अपनाते हुए उन्हें फॉलो करना शुरू किया। आखिरकार किरदार हमारे परिवार का हिस्सा बन जाते हैं।”
प्रिंस शाह ने मुंबई अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के 17वें संस्करण के तहत आयोजित #MIFFDialogue में मीडिया और प्रतिनिधियों को संबोधित किया। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में डॉक्यूमेंट्री 'आई राइज' के निदेशक बोरुन थोकचोम, 'मून ऑन द मैन' के निर्माता अंशुल पाण्डेय और 'मून ऑन द मैन' के सिनेमैटोग्राफर वैभव ने भी हिस्सा लिया।
प्रिंस शाह ने अपनी डॉक्यूमेंट्री के बारे में कहा कि 'मून ऑन द मैन' दो लोगों की वास्तविकता पर सवाल उठाती है। उन्होंने आगे विस्तार से बताया, “एक भारत के सबसे कम उम्र के स्वतंत्रता सेनानी प्रैक्लॉन हैं, जिन्होंने बाद में महान फिल्म निर्माता गुरु दत्त के साथ काम किया। दूसरा किरदार अपने समय के सबसे व्यस्त बाल कलाकार मास्टर शैलेश हैं। उन्होंने बाल कलाकार के रूप में लगभग 55-60 फिल्मों में अभिनय किया है। वे पिछले 30-40 साल से सड़कों पर रह रहे हैं। फिल्म उनकी वास्तविकताओं पर सवाल उठाती है और कई अन्य मुद्दों पर बात करती है।"
'आई राइज' के निदेशक बोरुन थोकचोम ने कहा कि डॉक्यूमेंट्री की शूटिंग के दौरान अपने विषय को अपने और कैमरे के साथ सहज बनाना महत्वपूर्ण है। उन्होंने आगे कहा, “डॉक्यूमेंट्री को अनोखा बनाने के लिए इसका विषय के साथ जुड़ाव बहुत महत्वपूर्ण है। इसमें समय लगेगा। इसे शूट करने में लगभग पांच से छह साल लगे। मात्रा से ज्यादा गुणवत्ता मायने रखती है।"