नई दिल्ली केन्द्रीय संस्कृति, पर्यटन और उत्तर-पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्री श्री जी. के. रेड्डी; केन्द्रीय संस्कृति एवं विदेश राज्यमंत्री श्रीमती मीनाक्षी लेखी, केन्द्रीय संस्कृति और संसदीय कार्य राज्यमंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल; नेहरू मेमोरियल संग्रहालय एवं पुस्तकालय (एनएमएमएल) की कार्यकारी परिषद के अध्यक्ष श्री नृपेन्द्र मिश्रा; पूर्व प्रधानमंत्रियों के परिवार के सदस्य और बड़ी संख्या में अन्य गणमान्य व्यक्ति भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
इस अवसर पर बोलते हुए, प्रधानमंत्री ने आज मनाए जा रहे विभिन्न त्योहारों का उल्लेख किया। उन्होंने बाबासाहेब अंबेडकर को भी श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा "बाबासाहेब जिस संविधान के मुख्य शिल्पकार रहे, उस संविधान ने हमें संसदीय प्रणाली का आधार दिया। इस संसदीय प्रणाली का मुख्य दायित्व देश के प्रधानमंत्री का पद रहा है। यह मेरा सौभाग्य है कि आज मुझे प्रधानमंत्री संग्रहालय देश को समर्पित करने का अवसर मिला है।” उन्होंने इस अवसर पर उपस्थित पूर्व प्रधानमंत्रियों के परिजनों का अभिनंदन किया और उन्हें बधाई दी।
प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा, “जब देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, तब यह संग्रहालय एक भव्य प्रेरणा बनकर आया है। इन 75 वर्षों में देश ने कई गौरवमय पल देखे हैं। इतिहास के झरोखे में इन पलों का जो महत्व है, वो अतुलनीय है।”
प्रधानमंत्री ने आजादी के बाद से सभी सरकारों के योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा, “देश आज जिस ऊंचाई पर है, वहां तक उसे पहुंचाने में स्वतंत्र भारत में बनी प्रत्येक सरकार का योगदान है। मैंने लालकिले से भी यह बात कई बार दोहराई है।” प्रधानमंत्री ने कहा कि यह संग्रहालय प्रत्येक सरकार की साझा विरासत का जीवंत प्रतिबिंब भी बन गया है। देश के हर प्रधानमंत्री ने संविधान सम्मत लोकतंत्र के लक्ष्यों की पूर्ति में भरसक योगदान दिया है। प्रधानमंत्री ने कहा, “उन्हें स्मरण करना स्वतंत्र भारत की यात्रा को जानना है। यहां आने वाले लोग देश के पूर्व प्रधानमंत्रियों के योगदान से रूबरू होंगे, उनकी पृष्ठभूमि, उनके संघर्ष-सृजन को जानेंगे।”
प्रधानमंत्री ने इस बात पर गर्व व्यक्त किया कि ज्यादातर प्रधानमंत्री साधारण परिवार से रहे हैं। उन्होंने कहा कि बेहद गरीब, किसान परिवार से आकर भी ऐसे नेताओं के प्रधानमंत्री पद पर पहुंचने से भारतीय लोकतंत्र की महान परंपराओं के प्रति विश्वास दृढ़ होता है। श्री मोदी ने कहा, “यह देश के युवाओं को भी विश्वास दिलाता है कि भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था में एक सामान्य परिवार में जन्म लेने वाला व्यक्ति भी शीर्षतम पदों पर पहुंच सकता है।” प्रधानमंत्री ने आशा व्यक्त की कि यह संग्रहालय युवा पीढ़ी के अनुभवों को विस्तार देगा। उन्होंने कहा कि हमारे युवा स्वतंत्र भारत की प्रमुख घटनाओं के बारे में जितना अधिक जानेंगे, उनके निर्णय उतने ही प्रासंगिक होंगे।
भारत के समृद्ध इतिहास और समृद्ध युग को याद करते हुए, प्रधानमंत्री ने भारत की विरासत और उसके वर्तमान की सही तस्वीर के बारे में जागरूकता फैलाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि चुराकर ले जायी गई धरोहरों को विदेशों से वापस लाने के सरकार के प्रयास, गौरवशाली विरासत के स्थानों का उत्सव मनाना, जलियांवाला स्मारक, बाबासाहेब की याद में पंच तीर्थ, स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय, आदिवासी इतिहास संग्रहालय जैसी जगहों पर स्वतंत्रता सेनानियों की यादों को संजोना इस दिशा में उठाए गए कदम हैं।
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