सहकारिता क्षेत्र निश्चित रूप से आर्थिक विकास का तीसरा मॉडल बनेगा


 रामजी पांडेय

नई दिल्ली केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज नई दिल्ली में सहकारिता नीति पर राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित किया। इस अवसर पर सहकारिता राज्यमंत्री श्री बी एल वर्मा और सहकारिता सचिव श्री देवेंद्र कुमार सिंह सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

इस अवसर पर अपने संबोधन में केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि ये दो दिन का सेमिनार नई सहकार नीति पर विचार करने के लिए आयोजित किया गया है। उन्होंने कहा कि 6 जुलाई, 2021 का दिन भारत के सहकारिता क्षेत्र के लिए बहुत महत्वपूर्ण दिन था क्योंकि सालों से सहकारिता क्षेत्र से जुड़े लोगों की मांग थी कि भारत सरकार सहकारिता के सिद्धांत को मान्यता दे और इसके काम को गति देने के लिए एक अलग मंत्रालय का निर्माण करे। अंततोगत्वा, 6 जुलाई, 2021 को देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने निर्णय लिया और भारत में पहली बार भारत सरकार ने सहकारिता मंत्रालय की स्थापना ही। इस मंत्रालय की स्थापना के पीछे उद्देश्य बहुत स्पष्ट है। मोदी जी ने सहकारिता क्षेत्र के सामने ‘सहकार से समृद्धि’ का लक्ष्य रखा है। क़ानून की दृष्टि से देखें, तो 1904-05 से देश में सहकारिता का अस्तित्व आया और अलग दृष्टि से देखें तो हमारे यहां सहकारिता का विचार सदियों पुराना है। हर क्षेत्र में सहकारिता के सिद्धांत के आधार पर भारत में काम होता रहा है। लेकिन क़ानून की रचना के अनुसार लगभग 100-125 वर्षों से सहकारिता भारत में है। इस यात्रा में गौरवपूर्ण योगदान सहकारिता का रहा है। इसके साथ-साथ ग्रामीण विकास और गरीब व्यक्तियों को रोज़गार देने में, वो सम्मानपूर्वक जीवन जी सकें, ऐसा एक आर्थिक मॉडल बनाने में, सहकारिता की एक बहुत बड़ी भूमिका रही।